भारतीय आर्मी के पराक्रम से डरता है चीन, 2 साल पहले गलवान घाटी में भी हुई थी ऐसी ही हिंसक झड़प

अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन बॉर्डर पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच मुठभेड़ हुई। जिसमें करीब 600 चीनी सैनिक भारत में घुसने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन भारतीय जांबाजों ने सभी को लाठी-डंडों से पीटकर भगा दिया। भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों की मारकर हड्डियां तक तोड़ दीं। जिसके कारण चीन भारतीय आर्मी के पराक्रम से घबरा गया और बॉर्डर पर शांति बनाए रखने की अपील की। इसके बाद तवांग विवाद पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में भाषण देते हुए सैनिकों के पराक्रम की खुलक प्रशंसा करते हुए चीन की सरकार को करारा जवाब दिया।
2 साल पहले भी गलवान घाटी हुई थी ऐसी घटना
आज से करीब ढाई साल पहले भी चीनी सैनिकों ने भारतीय आर्मी की ताकत को देख लिया था। जब गलवान घाटी में भारत ने चीन के 38 सैनिकों को मार गिराया था। दरअसल, गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों ने अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया था। तभी चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू कर दिया था और इस क्षेत्र में अपनी सेनाएं भी बढ़ा दी थी। जिसके कारण चीन को भारतीय सैनिकों ने मौके से उखाड़ फेंका। इस क्रम में चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि 20 भारतीय सैनिक भी शहीद हो गए थे।
पिछले साल भी की थी घुसपैठ की कोशिश
गलवान घाटी विवाद के बाद भारत-चीन के बीच माहौल कई बार गर्म हो चुका है। 2021 में भी चीन के करीब 200 सैनिकों ने भारत में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। यह विवाद पेट्रोलिंग के दौरान सीमा विवाद को लेकर हुआ था। विवाद में कुछ घंटे तक दोनों देशों के सैनिक आमने सामने आ गए थे। तब हुई घटना में भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ था। भारतीय सेनाओं ने इस बार भी गलवान विवाद की तरह सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
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