दुश्मनों पर भारी पड़ने वाला देश का पहला न्यूक्लियर मिसाइल जहाज आईएनएस ध्रुव आज होगा लॉन्च, खासियत जानकर हो जाएंगे हैरान

देश के लिए आज का दिन बड़ा अहम है। यह पाकिस्तान और चीन (Pakistan And China) के लिए झटका देने वाला दिन है। क्योंकि आज देश का पहला न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग जहाज (Nuclear Missile Tracking Ship) आईएनएस ध्रुव (INS Dhruv) को लॉन्च किया जा रहा है। ये पूरी तरह से आधुनिक ट्रैकिंग जहाज है। इसकी विशेषताएं आपको हैरान कर देगी। वहीं भारत अब समुंद्र में भी पहले से ज्यादा ताकतवर हो जाएगा। क्योंकि यह मिसाइल को ट्रैक करने के साथ-साथ पृथ्वी की निचली कक्ष में सैटेलाइटों की निगरानी भी करेगा। भारतीय नौसेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से 10 हजार टन के जहाज को लॉन्च किया जाएगा।
आईएनएस ध्रुव की कई सारी विशेषताएं
आईएनएस ध्रुव दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए समुद्र तल को मैप करने की क्षमता से भी लैस है। किसी भी देश के मंसूबों को नाकाम करने में आईएनएस ध्रुव माहिर है। साथ ही दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देने में भी सक्षम है। उधर, चीन और पाकिस्तान दोनों के पास भारत के साथ-साथ परमाणु बैलिस्टिक क्षमताएं हैं और भारत का दोनों देशों के साथ भूमि विवाद भी है, ऐसे में आईएनएस ध्रुव भारतीय नौसेना को किसी भी युद्ध की स्थिति में मदद करेगा। वहीं, ध्रुव भारत का पहला नौसैनिक जहाज होगा, जो लंबी दूरी पर परमाणु मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम होगा। आईएनएस ध्रुव का इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में परमाणु बैलिस्टिक युद्ध के बढ़ते खतरे के बीच एक अहम रोल होगा।
नौसैनिक युद्ध में एक अत्याधुनिक उपकरण
यह जहाज कई तरह की विशेषताओं से लैस है जो इसे आधुनिक नौसैनिक युद्ध में एक अत्याधुनिक उपकरण बनाता है। अपनी बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं के साथ आईएनएस ध्रुव देश के शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर जाने वाली दुश्मन देशों की मिसाइलों के लिए एक शुरुआती चेतावनी सिस्टम के रूप में भी काम करेगा। आईएनएस ध्रुव को हिंदुस्तान शिपयार्ड द्वारा डीआरडीओ और एनटीआरओ के सहयोग से बनाया गया है। ध्रुव के पास डीआरडीओ द्वारा बनाया गया एक अत्याधुनिक सक्रिय स्कैन एरे रडार (एईएसए) भी है, जो इसे विभिन्न स्पेक्ट्रमों को स्कैन करने और भारत पर नजर रखने वाले जासूसी उपग्रहों की निगरानी करने के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी करने में सक्षम करेगा।
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