समंदर में दुश्मनों के पसीने छुड़ाने आया ताकतवर INS विक्रांत, जानें क्या है खासियत

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शुक्रवार को (यानी आज) भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (indigenous aircraft carrier INS Vikrant) नौसेना (Navy) को सौंप दिया हैं। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) नौसेना के नए चिह्न का अनावरण भी किया। आईएनएस विक्रांत भारत में निर्मित और डिजाइन किया गया पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत है।
इसके आने के बाद से भारत इस मुकाम को हासिल करने वाला दुनिया का छठा देश बन गया है। इसके आते ही देश की समुद्री सीमा सुरक्षित हो जाएगी। समुद्र की तरफ से कोई भी हरकत करने से पहले दुश्मन कई बार सोचेगा। क्योंकि उनके सामने भारतीय नौसेना (Indian Navy) का 'महाबली' जहाज खड़ा होगा।
भारतीय नौसेना के अधिकारियों के अनुसार, आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) की तैनाती से हिंद महासागर (Indian Ocean) और प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बढ़ेगी।
ये हैं खासियत
इस स्वदेशी विमान की लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है जोकि ढाई हॉकी मैदानों के बराबर है। और जहाज का वजन करीब 45000 टन है। इस जहाज की ऊंचाई करीब 59 मीटर है। जो 5 मंजिला इमारत के बराबर है। आईएनएस विक्रांत युद्धपोत 88 मेगावाट बिजली के चार गैस टर्बाइनों से सुसज्जित है और इसकी अधिकतम गति 28 (नॉट) समुद्री मील है।
INS विक्रांत में 76% कल-पुर्जे स्वदेशी हैं और इस युद्धपोत में मिग-29 लड़ाकू जेट, कामोव-31, MH-60R के अलावा स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत किस्म के हल्के हेलीकॉप्टर (ALH) और हल्के लड़ाकू विमान (LCA) शामिल हैं और यह मल्टी रोल हेलीकाप्टरों के साथ-साथ 30 विमानों से युक्त एयर विंग के संचालन में सक्षम है। आईएनएस विक्रांत को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है ताकि कम क्षेत्र में विमानों का टेक-ऑफ और लैंडिंग किया जा सके।
इस युद्धपोत का आगे का हिस्सा ऊंचा उठा हुआ है, जिसे STOBAR (शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्ट लैंडिंग) डिजाइन कहा जाता है और इसका फायदा यह है कि विमान कम जगह में आसानी से टेक ऑफ और लैंड कर सकता है। आईएनएस विक्रांत के पास 32 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें होंगी। यह एके-630 रोटरी तोप से लैस होगी। इनमें से 32 बराक-8 मिसाइलें निकलेगी। ये सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल हैं।
जिसे आधा किलोमीटर से लेकर 100 किलोमीटर तक हमले या बचाव के लिए दागा जा सकता है। इसका वजन 275 किलो है। लंबाई 4.5 मीटर है। इस पर 60 KG का वॉरहेड लगाया जा सकता है। डेटोनेशन सिस्टम को मारना मुश्किल है। यानी अगर यह गिरता है, तो दुश्मन पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है। यह मिसाइल बिना धुएं के उड़ती है। इसलिए यह आकाश में नहीं दिखाई देती है। यह 2469 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन की ओर बढ़ती है।
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