कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देना जरूरी, न्यायिक प्रक्रिया को नहीं समझ पाती है बड़ी आबादी : PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन (Vigyan Bhavan) में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों ( High Courts) के मुख्य न्यायाधीशों (Chief Justices) के संयुक्त सम्मेलन (Joint Conference) के उद्घाटन सत्र में भाग लिया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज देश आजादी का महोत्सव मना रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने टेक्नोलॉजी पर काफी जोर दिया। पीएम ने कहा कि डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांसजेक्शन आम बात होने लगी है न्याय में देरी को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत सरकार न्याय व्यवस्था में तकनीकी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है। उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट परियोजना को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांसजेक्शन आम बात होने लगी है: प्रधानमंत्री pic.twitter.com/UkrarJD3UB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 30, 2022
इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। कोर्ट में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक के रूप में है। मोदी ने कहा कि एक बड़ी आबादी न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) और फैसलों को नहीं समझ पाती है, इसलिए न्याय को लोगों से जोड़ा जाना चाहिए। यह लोगों की भाषा में होना चाहिए। आम लोगों को स्थानीय और आम भाषा में कानून को समझकर न्याय के दरवाजे खटखटाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
2047 में जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएँ कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए: प्रधानमंत्री pic.twitter.com/WDgy7zBqrF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 30, 2022
उन्होंने कहा कि साझा सम्मेलनों से नए विचार आते हैं। आज यह सम्मेलन आजादी के अमृत महोत्सव पर हो रहा है। कार्यपालिका और न्यायपालिका मिलकर देश के नए सपनों का भविष्य संवार रहे हैं। देश की आजादी के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए हमें सभी के लिए सुगम, सुलभ, शीघ्र न्याय के नए आयाम खोलने की ओर बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का ये संयुक्त सम्मेलन हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्ररण है। हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशरी की भूमिका का संविधान संरक्षक की है वहीं विधान मंडल नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा 2047 में जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएँ कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
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