चीन-पाकिस्तान से एक साथ युद्ध लड़ने की तैयारी कर रहा भारत, हथियारों की खरीद की तेज

चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते करीब ढाई महीने से जारी तनाव के बीच भारत ने ज्यादा गंभीरता के साथ दो मोर्चों पर दुश्मन का सीधे मुकाबला करने की पुख्ता तैयारियां करना शुरू कर दिया है। इसे लेकर न केवल सशस्त्र सेनाओं के लिए घातक हथियारों और अन्य साजो सामान की तेजी से खरीद की जा रही है।
बल्कि जमीनी स्तर पर उनका इस्तेमाल करने वाली सेनाओं की रणनीतिक तैयारियों की भी लगातार वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों द्वारा व्यापक समीक्षा की जा रही है। हालात चिंताजनक इसलिए हैं। क्योंकि एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम समझौते का उल्लंघन कर आतंकियों की घुसपैठ के साथ-साथ भारतीय सेना और स्थानीय आबादी के रिहायशी इलाकों में गोलीबारी की जा रही है।
वहीं चीन लद्दाख में एलएसी का अतिक्रमण कर भारत पर न केवल दवाब बना रहा है। बल्कि इस साल उसने सारी हदें पार करते हुए गलवान घाटी में निहत्थे 20 जवानों की हत्या कर दी है। इसे देखते हुए भविष्य में भारत किसी प्रकार का कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है और वह लगातार दोनों मोर्चों पर अपनी सामरिक तैयारियों को मजबूत करने में लगा हुआ है। रक्षा विशेषज्ञ इसका समर्थन करते हुए भारत की तैयारियों को मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी जरूरत बता रहे हैं।
तैयारियों को परखते सेना प्रमुख
सेना की जानकारी के मुताबिक पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर जारी तनावपूर्ण हालात के मद्देनजर सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरावणे नियमित रूप से सैन्य तैयारियों की बड़े पैमाने पर समीक्षा करने में लगे हुए हैं। इसमें राजधानी स्थित सेना मुख्यालय में उच्च-सैन्य अधिकारियों से रोजाना ब्रीफिंग लेने के अलावा वह एलएसी, एलओसी और आईबी से लगे फॉरवर्ड इलाकों का दौरा कर सेना की जमीनी स्तर पर चल रही ऑपरेशनल तैयारियों का भी आकलन करने में लगे हुए हैं।
सेना प्रमुख ने तीन बार किया दौरा
चीनी विवाद के बीच अब तक सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरावणे ने करीब तीन बार एलएसी के सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया है और 13 जुलाई को उन्होंने जम्मू पठानकोट से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना के फॉरवर्ड ठिकानों पर जाकर मौजूदा सैन्य तैयारियों का जायजा लिया है। इस दौरान उन्हें सेना की पश्चिमी कमांड के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने विस्तार से ब्रीफ किया। जनरल नरावणे ने फील्ड में मौजूद कमांडरों और सेना के जवानों से मुलाकात कर उनका मनोबल भी बढ़ाया।
जीरो टॉलरेंस की नीति
सेनाप्रमुख ने कमांडरों और जवानों को पाकिस्तान द्वारा तोड़े जा रहे संघर्षविराम और आतंकवादियों के साथ सख्ती से निपटने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए दिए अपने संबोधन में उन्होंने कहा, आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति कायम रहेगी। सेनाओं के तीनों अंगों के अलावा सरकार एकजुट होकर दुश्मन द्वारा चलाए जा रहे छद्म युद्ध और उसके डिजाइन की काट करने के लिए जुटे हुए हैं।
एक्सपर्ट व्यू
सेना के वरिष्ठ सेवानिवृत अधिकारी मेजर जनरल जी़ डी़ बक्शी ने कहा चीन और पाकिस्तान की तरफ से एकसाथ भारत के खिलाफ दो मोर्चों पर युद्ध छेड़ने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में भारत को हर हाल में इस नजरिए से चौंकन्ना रहते हुए अपनी सामरिक तैयारियों को चाक चौबंद करना ही पड़ेगा। यही मौजूदा वक्त की सबसे बड़ी मांग है। चीन की गलवान घाटी में की गई हिमाकत को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। क्योंकि पूरी एलएसी पर पूर्वी लद्दाख ही एक ऐसी जगह है। जहां से चीन भारत के खिलाफ सीधे दो मोर्चों पर युद्ध की शुरूआत कर सकता है। इसके पीछे कारण यहां से पाकिस्तान की सीमा का ज्यादा दूर न होना है।
लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय वार्ता का अगला दौर आज
पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने और सैनिकों के पीछे हटने के लिए तौर-तरीका तय करने के वास्ते भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय चौथे दौर की वार्ता मंगलवार को होगी। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से में चुशुल में यह बैठक होगी। दोनों पक्षों द्वारा ऊंचाई वाले क्षेत्र में अमन-चैन बहाल करने के खाके को भी अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गोग्रा, हॉट स्प्रिंग्स और गलवान घाटी से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। पिछले एक सप्ताह में उसने पैंगोग सो इलाके में फिंगर फोर के पास सैनिकों की संख्या घटायी है।
इधर, चीन ने अमेरिकी सीनेटरों पर लगाया बैन
चीन ने सोमवार को कहा कि वह अमेरिकी सीनेटरों मार्को रुबिओ और टेड क्रूज़ के अलावा धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी राजदूत सैम ब्राउनबैक तथा क्रिस स्मिथ के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाएगा। चीन ने यह प्रतिबंध अल्पसंख्यक समूहों और लोगों के पंथ के प्रति सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों की उनकी आलोचना को लेकर लगाया है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि अमेरिका द्वारा की गई कार्रवाइयों से चीन-अमेरिका संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचा है और चीन इसे अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखता है।
उन्होंने कहा कि चीन इसके खिलाफ अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखने के लिए दृढ़ है। हुआ ने कहा कि चीन स्थिति के अनुसार आगे प्रतिक्रिया देगा। इस बीच इस बारे में कोई संकेत नहीं है कि इन चारों में से किसी की चीन यात्रा की योजना है। ऐसा प्रतीत होता है कि चीन का यह कदम अमेरिका की उस कार्रवाई के जवाब में है जिसके तहत शिनजियांग क्षेत्र के प्रमुख चेन क्वांगु सहित चार चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। शिनजियांग में मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के 10 लाख से ज्यादा सदस्यों को कैद कर रखा गया है। हालांकि चीन का कहना है कि वे शिविर लोगों को कट्टरपंथ से मुक्त कराने वाले केंद्र हैं। आलोचकों ने उन शिविरों की तुलना जेलों से की है।
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