भारत चाहता है रूस-यूक्रेन संकट पर शांतिपूर्ण समाधान, दोनों देशों के बीच बनी हुई है युद्ध की स्थिति

रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। दुनिया के कई देश दोनों देशों के बीच शांति कायम रखने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच भारत के विदेश मंत्रालय ( Ministry of External Affairs) ने जवाब दिया है कि हम लगातार कूटनीतिक बातचीत के जरिए इसे तुरंत सुलझाने में लगे हैं। मिन्स्क समझौतों के कार्यान्वयन (Implementation) के लिए नॉरमैंडी प्रारूप के तहत किए जा रहे प्रयासों का स्वागत है।
हम स्थिति का कूटनीतिक और शांतिपूर्ण समाधान देखना चाहते हैं।दोनों देशों के बीच बढ़ते विवाद को लेकर अमेरिका (US) ने कहा था कि भारत नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है, हम उम्मीद करते हैं कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो भारत अमेरिका का समर्थन करेगा.
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में चार देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा हुई, जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने भी विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) के विदेश दौरे की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 से 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेश मंत्री जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेंगे।
वह सम्मेलन में भाग लेने वाले विदेश मंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। अरिंदम बागची ने कि वह इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भी भाग लेंगे। वह सम्मेलन में भाग लेने वाले विदेश मंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता (Bilateral talks) भी करेंगे। वह म्यूनिख में भारतीय दूतावास और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में भी भाग लेंगे।
आपको बता दें कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब यूरोप ने भी भारत में शामिल होने का फैसला किया है। फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-यवेस एड्रियन ने एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के दौरान कहा कि उनका देश यूरोपीय संघ और इंडो-पैसिफिक के बीच संबंधों पर चर्चा के लिए 22 फरवरी को पेरिस में एक समारोह आयोजित करेगा। इस इवेंट को पेरिस फोरम का नाम दिया गया है। द्रायन ने कहा कि आयोजन का एजेंडा सुरक्षा, संपर्क और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की वैश्विक चुनौतियों से निपटने से संबंधित होगा।
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