भूकंप की भविष्यवाणी करेगा भारत! कोयना का किया जा रहा परीक्षण

देश में पहले और आज भी छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं। लेकिन इनकी भविष्यवाणी करने की कोई तकनीक न होने की वजह से जानमाल के नुकसान का सटीक आकलन करना मुश्किल है। लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिक महाराष्ट्र के कोयना रीजन में एक ऐसा विशेष प्रकार का परीक्षण करने में लगे हुए हैं, जिसके जरिए भूकंप के भविष्यवाणी (प्रीडिक्टिव) के मॉडल को बनाया जा सकेगा। शुरूआत में इससे उस इलाके में आने वाले भूकंपों की तीव्रता के बारे में अनुमान लगाया जा सकेगा और भविष्य में यह भूकंप को परिभाषित करने और उसकी भविष्यवाणी करने वाले महत्वपूर्ण शोध कार्य में भी काफी मददगार साबित होगा। लेकिन इस मॉडल को विकसित करने में कितना वक्त लगेगा। इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।
कोयना परीक्षण की पद्वति
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के निदेशक डॉ़ बी़ के़ बंसल ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि कोयना का परीक्षण 20 बाय 30 के बहुत ही छोटे से सोर्स जोन एरिया में किया जा रहा है। अब तक हमने अच्छे नेटवर्क से यह पता लगाया है कि यहां आ रहे भूकंपों की गहराई 3 से 7 किलोमीटर के बीच में हैं। इससे यह साफ हो गया है कि यह वह इलाका है जहां पर छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं और भविष्य में भी ऐसे ही भूकंप आने की संभावना है। बड़े भूकंप का कोई खतरा नहीं है। आगे यहां 5 से 7 किलोमीटर का बोर होल ड्रिल का एक प्रोजेक्ट शुरू होगा। जिसमें वैज्ञानिक धरती के अंदर उपकरणों की पूरी चेन डालेंगे और उससे यह जानने की कोशिश करेंगे कि वहां रॉक, तापमान, बोरोसिटी और वनरेबिलिटी के व्यवहार में क्या-क्या बदलाव होता है। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि छोटे भूकंप आने से पहले क्या कोई ट्रिगर था या बदलाव हुआ है। इन सभी चीजों को मिलाकर भूकंप के व्यवहार को समझने वाला मॉडल विकसित किया जाएगा।
चीन ने की भूकंप की भविष्यवाणी
भूकंप की सबसे पहले एकमात्र भविष्यवाणी करने वाला देश चीन है। उसने वर्ष 1975 में एक भूकंप की भविष्यवाणी की थी। यह दुनिया का एकमात्र भूकंप है जिसकी भविष्यवाणी की गई थी। लेकिन उसके अगले साल 1976 में वहां एक बड़ा ही विनाशकारी भूकंप आ गया। जिसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। ऐसे में पूर्व में आए भूकंप के दम पर चीन भी इसकी सटीक भविष्यवाणी का आज तक दावा नहीं कर सका है। 1975 के भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिए चीन ने करीब 6 महीने पहले ही तैयारी करना शुरू कर दिया था। छोटी छोटी चीजों का विश्लेषण किया गया। मुख्य रूप से यह देखा गया कि जमीन के अंदर से किस प्रकार की ऊर्जा जारी हो रही है। जापान और अमेरिका भी भूकंप की भविष्यवाणी करने वाले मॉडल को विकसित करने के काम में लगे हुए हैं।
एक्टिव वेबसाइट
दिल्ली या देश के बाकी हिस्सों में आने वाले भूकंपों के बारे में जानकारी तत्काल सामने आने की बड़ी वजह एनसीएस की वेबसाइट है। यह बीते छह महीने से पूरी तरह से एक्टिव है। अब भूकंप आने पर हम तुरंत इसका समय, तीव्रता, क्षेत्र, प्रभाव और अक्षांश-देक्षांश की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड कर देते हैं। पहले इस तरह से कोई सिस्टम नहीं था। जिसकी वजह से लोगों को जानकारी भी नहीं मिलती थी। दिल्ली, एनसीआर में बीते दिनों आए भूकंपों के बाद खतरा टला नहीं है। लेकिन बड़ा भूकंप आने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
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