भारतीय सेना की मजबूत तैनाती से त्रस्त चीनियों ने एलएसी पर खेला नया दाव, फिंगर-4 की चोटियों पर लाउडस्पीकर से पंजाबी गाने बजाकर सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेंगांग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर भारत की सेना से मिली करारी हार को पचाना ड्रैगन सेना के लिए दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है। इसलिए अब उसने भारत की सेना पर मनोवैज्ञानिक दवाब बनाने की एक नई रणनीति तैयार की है, जिसमें चीन ने फिंगर-4 के इलाके में अपनी फॉरवर्ड चौकियों पर बड़े-बड़े लाउडस्पीकर लगाकर पंजाबी गाने बजाने शुरू कर दिए हैं।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि चीन को लगता है कि फिंगर के इलाके में भारत के पंजाबी सैनिक तैनात हैं। इसलिए वह पंजाबी गाने बजाकर उनमें असंतोष पैदा करने, जवानों का ध्यान भटकाने, मनोबल तोड़ने और देश के राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ उन्हें भड़काने की कोशिशों में लगा हुआ है। लेकिन झील के दोनों किनारों पर सख्ती से डटे हुए सेना के जवानों की सतर्कता और चौकसी इससे टूटने वाली नहीं है। अंत में पीएलए को ही मुंह की खानी पड़ेगी।
सेना की सीधी निगरानी
चीनी सेना ने फिंगर-4 के जिस इलाके में लाउडस्पीकर लगाए हैं। वह भारतीय सेना की चौबीसों घंटे सीधी निगरानी में हैं। इसमें चुशूल में पड़ने वाली चीन की मॉल्डो चौकी भी शामिल है। यहां चीन की ओर से कहा जा रहा है कि भारतीय सेना अपने राजनीतिक आकाओं के हाथों मूर्ख न बने।
इससे ड्रैगन की कोशिश भारतीय सेना को अपनी सरकार और उसके नेताओं के खिलाफ भड़काने, असंतोष बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें गानों के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि कैसे भारत सरकार ने कड़ाके की सर्दी में जवानों को लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों पर तैनात करने का फैसला ले लिया।
इसी इलाके में बीते 8 और 9 सितंबर को चीनी सेना ने आक्रामक ढंग से एलएसी लांघने की कोशिश की थी। जिसकी वजह से तनाव इतना बढ़ गया था कि दोनों सेनाओं के बीच करीब 200 राउंड हवाई फायरिंग भी की गई थी।
दोहराई 1962 की रणनीति
सीमा पर तनाव के बीच लाउडस्पीकर रणनीति का चीन ने वर्ष 1962 की लड़ाई और 1967 में सिक्किम के नाथुला में हुई हिंसक झड़प के दौरान भी प्रयोग प्रयोग किया था। अब एक बार फिर इसे दोहराने की कोशिश की जा रही है।
क्योंकि चीन मानता है कि सबसे अच्छा युद्ध कौशल वह होता है जो बिना लड़े ही जीत लिया जाए। इसी पर काम करते हुए ड्रैगन सेना और चीनी सरकार का आधिकारिक मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स लद्दाख में भारतीय सैनिकों के खिलाफ मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़े हुए हैं।
गुस्ताखी पर मिलेगा मुंहतोड़ जवाब
दरअसल बीते 29-30 अगस्त को पेंगांग त्सो के दक्षिणी तट पर भारतीय सेना द्वारा करारा जवाब मिलने के बाद चीनी सेना ने पहले इलाके में टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों के जरिए भारत को गीदड़भभकी देने की कोशिश की। इससे उसे लगा कि भारतीय जवान डरकर पीछे हट जाएंगे।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि भारतीय सेना ने चीनियों को यह साफ शब्दों में समझा दिया कि अगर उन्होंने बॉर्डर पर रेड लाइन क्रास करने की कोशिश की तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। इससे खीजी पीएलए ने अब पंजाबी गाने बजाने का नया पैंतरा चला है। जिसमें उनकी पूरी कोशिश है कि पंजाबी गाने बजाकर भारतीय जवानों को कड़ाके की ठंड की याद दिलाकर असंतोष के साथ पीछे हटने पर मजबूर कर दिया जाए। गौरतलब है कि भारत-चीन के बीच बीते 20 दिनों में करीब तीन से चार बार फायरिंग की घटना हो चुकी है।
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