एलएसी पर भारतीय सेना सर्दियों में भी रहेगी तैनात, राशन पहुंचाने की योजना पर काम शुरू

एलएसी पर भारतीय सेना सर्दियों में भी रहेगी तैनात, राशन पहुंचाने की योजना पर काम शुरू
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वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की विवादित जगहों से पीछे न हटने को तैयार चीनी सेना के अड़ियल रूख को देखते हुए अब भारत ने भी अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव लाते हुए पूर्वी लद्दाख में तैनात सेना के लिए सर्दियों तक का राशन और जरूरी रसद पहुंचाने के लिए एक बड़े लॉजिस्टिक्स अभियान की शुरूआत कर दी है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की विवादित जगहों से पीछे न हटने को तैयार चीनी सेना के अड़ियल रूख को देखते हुए अब भारत ने भी अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव लाते हुए पूर्वी लद्दाख में तैनात सेना के लिए सर्दियों तक का राशन और जरूरी रसद पहुंचाने के लिए एक बड़े लॉजिस्टिक्स अभियान की शुरूआत कर दी है।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि कोरोना की वजह से इसमें कुछ देरी हुई है। लेकिन अब इसकी भरपाई सेना सर्दियों में इस प्रक्रिया को जारी रखकर पूरा करना चाहती है। इसके लिए उसने श्रीनगर से लद्दाख तक ट्रकों के जरिए रसद पहुंचाने के लिए वैकल्पिक योजना बनाने पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसमें से एक जोजिला दर्रे का सर्दियों में भी इस्तेमाल किया जाना शामिल है, जिसके लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की मदद ली जाएगी।

12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित जोजिला दर्रा मई से अक्टूबर तक ही सामान्य यातायात के लिए खुला रहा है। इसके बाद भारी बर्फबारी की वजह से सर्दियों में इसे पूरी तरह से यातायात के लिए बंद कर दिया जाता है। गौरतलब है कि एलएसी पर मिल रहे चीनी संकेतों से यह साफ हो रहा है कि यह विवाद लंबा खिंचेगा और इसके जल्द खत्म होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है। इसी वजह से सेना ने 20 से 40 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती पूर्वी लद्दाख में की हुई है। एलएसी तनाव को लेकर सशस्त्र सेनाएं अलर्ट पर हैं।

60 हजार मीट्रिक टन राशन की जरूरत

एलएसी के सुदूर इलाकों में तैनात सेना की सालाना राशन की कुल खपत करीब 30 हजार मीट्रिक टन है। लेकिन इस बार चीन से तनाव के चलते पूर्वी लद्दाख में तैनात की गई अतिरिक्त फौज की वजह से पहले के मुकाबले दोगुना यानि 60 हजार मीट्रिक टन राशन पहुंचाना पड़ेगा। इसके लिए अतिरिक्त समय की भी जरूरत है। इसलिए सेना जोजिला से सर्दियों में रसद सप्लाई की योजना बनाने पर मंथन में जुटी हुई है।

एलएसी पर आमतौर पर राशन व अन्य साजो सामान भेजने की शुरूवात अप्रैल में हो जाती थी। जिसे 150 दिन यानि पांच महीने में पूरा कर लिया जाता था। लेकिन इस बार कोरोना की वजह से लॉगडाउन के चलते यह काम काफी प्रभावित हुआ है। अब इसके लिए करीब दो महीने का ही वक्त शेष बचा है। क्योंकि लद्दाख में अक्टूबर से ही सर्दियों की शुरूवात हो जाती है।

जोजिला सुरंग बनाई जाए

लद्दाख में 3 इंफेंट्री डिवीजन के प्रमुख (जीओसी) रहे रिटायर्ड मेजर जनरल शेरू थपलियाल ने कहा कि सेना का जोजिला को 12 महीने खोलने की योजना पर विचार करना एक अच्छा कदम है। लेकिन चीन के साथ जारी एलएसी विवाद के दौरान अब सही वक्त आ चुका है। जब भारत को 14.150 किमी़ लंबी जोजिला सुरंग को भी तुरंत बना लेना चाहिए। क्योंकि इससे लद्दाख 12 महीने देश के बाकी हिस्सों से सीधे जुड़ा रहेगा। जोजिला दर्रा लड़ाई के वक्त पाकिस्तान और चीन दोनों के रडार पर रहता है। ऐसे में सुरंग बन जाने से युद्ध या प्रतिकूल मौसम में भी एलएसी पर तैनात सेना के लिए हर वक्त जरूरी रसद, ईंधन व राशन की सप्लाई करना आसान हो जाएगा।

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