लेफ्टीनेंट जनरल की चीन को दो टूक, राष्ट्रीय अखंडता की स्थिति में मुकाबले को तैयार

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बीते 12 हफ्तों से जारी विवाद के बीच शनिवार को सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के. जोशी ने चीन को दो टूक अंदाज में चेतावनी देते हुए कहा कि तनाव को कम करने के लिए चीन के साथ लगातार कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया चल रही है।
भारत भी एलएसी पर शांति चाहता है। लेकिन इसके लिए हमारी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारतीय सेना हर तरह की परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में ले़ जनरल जोशी यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस वक्त लद्दाख में एलएसी के करीब सेना के कुल 40 हजार जवानों की तैनाती की गई है। यह चीन द्वारा एलएसी पर यथास्थिति की बहाली तक वहां पर जस का तस तैनात रहेंगे।
अप्रैल के मध्य वाली स्थिति में सेनाओं की तैनाती और गश्त को भारत यथास्थिति मानता है। चीन के साथ तनाव कम करने के लिए भारत ने अब तक चार बार सैन्य कोर कमांडर स्तर की बातचीत की है, 2 बार डब्ल्यूएमसीसी की बैठक हुई और दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच एक बार टेलिफोन पर वार्ता भी हो चुकी है। लेकिन तनाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।
पेंगांग, गोगरा में तनाव
ले़ जनरल जोशी ने कहा कि भारतीय सेना लद्दाख में उस वक्त चौंक गई थी। जब चीनी सेना गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग और पेंगांग त्सो झील के इलाके में काफी साजो सामान के साथ आ डटी। इस वक्त पेंगांग त्सो और गोगरा के गश्त बिंदु 17 पर तनाव बरकरार है। जबकि गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग से चीन और भारत की सेनाएं तय फासले के हिसाब से पीछे हट गई हैं।
आज हम चुनौतीपूर्ण हालात में रह रहे हैं और यही स्थिति आगे भी बनी रहेगी। सेना देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी। अतिरिक्त फौज की सर्दियों में एलएसी पर तैनाती के लिए इन दिनों लगातार जम्मू-कश्मीर में ट्रकों के जरिए राशन, केरोसीन, सर्दियों के कपड़े और अन्य जरूरी साजो सामान भेजा जा रहा है।
लद्दाख का संतोषजनक हल चाहिए
वर्ष 1999 में हुए करगिल युद्ध की चुनौती और आज की लद्दाख की स्थिति दो अलग-अलग स्थितियां हैं। करगिल में प्वाइंट 4875 बड़ी चुनौती थी और आज पूर्वी लद्दाख में चुनौती है। लेकिन एक संगठन के तौर पर सेना ने करगिल के दौरान भी अपनी संतुष्टि के हिसाब से समस्या का समाधान किया था और आज भी इसी कवायद में लगे हुए हैं। हर प्रक्रिया की एक पद्वति होती है।
हमारी चीनी सेना के साथ चल रही बातचीत की प्रक्रिया तनाव घटाने से जुड़ी हुई है। सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने के लिए दोनों ओर की कुछ स्थापित प्रतिबद्धताएं हैं। लेकिन इसके बाद भी देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हम एलएसी पर शांति बहाली के लिए ईमानदारी के साथ प्रयासरत हैं।
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