Haribhoomi Explainer: भारत सरकार ने आखिर क्यों लगाया चावल के निर्यात पर बैन, यहां जानिए इस फैसले के पीछे की वजह

Haribhoomi Explainer: भारत (India) ने घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए गैर बासमती सफेद चावल (White Basmati Rice) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, इस कदम से वैश्विक खाद्य बाजारों (World Food Markets) में मुद्रास्फीति (Inflation) की आशंकाएं और बढ़ गई हैं। भारत सरकार (Government of India) के खाद्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि बासमती चावल और सभी तरह के उसना चावल के लिए भारत की निर्यात नीति (Export Policy) में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि केवल गैर-बासमती चावल के निर्यात पर ही प्रतिबंध (Sanctions) लगाया गया है। आपको बता दें कि भारत से बड़े पैमाने पर बासमती चावल (Basmati Rice) का निर्यात (Export) किया जाता है। भारत से गैर-बासमती सफेद चावल का कुल निर्यात 2022-23 में 4.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। अब आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से हम आपको बताते हैं कि भारत ने इस श्रेणी के चावल का निर्यात क्यों रोक दिया है। साथ ही बताएंगे कि इसके प्रभाव क्या होंगे।
रोक लगाने के पीछे क्या है कारण
केंद्र सरकार (Central Government) का यह कदम इस चिंता के बीच आया है कि पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) में भारी बारिश से धान की फसल (Paddy Harvest) को नुकसान पहुंचने के कारण देश में आपूर्ति की कमी हो सकती है। कई उत्तरी राज्यों में लगातार बारिश के कारण धान के खेत जलमग्न हो गए हैं, कई किसानों को दोबारा रोपाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके अलावा कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में वर्षा की कमी के कारण धान की बुआई प्रभावित हुई है। इसी को लेकर भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय ने एक अपने एक बयान में कहा कि भारतीय बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में कीमतों में कमी लाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
भारत पहले से ही सब्जी, फल और अनाज की ऊंची कीमतों से जूझ रहा है। जून में खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से रसोई के सामानों की कीमतों में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है। जिससे कम आय वाले परिवार सबसे अधिक प्रभावित हुए। रसोई का प्रमुख भोजन टमाटर देश के कई हिस्सों में लगभग 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है। हालांकि, केंद्र के हस्तक्षेप के बाद अगस्त के मध्य तक कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है।
सरकार का चावल निर्यात पर प्रतिबंध ऐसे समय में आया है जब भारी बारिश से फसलों को नुकसान होने के कारण खुदरा चावल की कीमतों में एक महीने में 3 फीसदी का उछाल आया है। एक मीडिया एजेंसी से बात करते हुए व्यापार विश्लेषक एस चंद्रशेखरन ने कहा कि मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने और खाद्य सुरक्षा की रक्षा के लिए यह कदम आवश्यक था। हालिया प्रतिबंध से भारत में चावल की कीमतें नियंत्रित हो सकती हैं। आपको हम बता दें कि पिछले साल सितंबर में भारत ने अनाज के विभिन्न ग्रेडों के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाने के साथ-साथ टूटे हुए चावल के शिपमेंट को रोक दिया था।
भारत सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक, वैश्विक चावल व्यापार में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है। यह चीन (China) के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक भी है। चावल तीन अरब से अधिक लोगों के लिए मुख्य खाद्य पदार्थ है। लगभग 90 प्रतिशत फसल का उत्पादन एशिया में होता है, भारत के बाद थाईलैंड दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अनाज निर्यातक है। वैश्विक चावल व्यापार के लिए भारत महत्वपूर्ण है। पिछले साल यानी कि साल 2022 में भारत ने 17.86 मिलियन टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया।
वैश्विक चावल व्यापार पर भारत के प्रतिबंध का प्रभाव
व्यापार विशेषज्ञों (Business Experts) की मानें तो भारत के प्रतिबंध के बाद वैश्विक स्तर पर चावल की कीमतों में बढ़ोतरी आने की उम्मीद है। भारत के प्रतिबंध से गैर-बासमती सफेद चावल की वैश्विक शिपमेंट लगभग आधी हो सकती है, जो देश के चावल निर्यात का लगभग 25 प्रतिशत है। दूसरे विशेषज्ञ ने कहा कि वैश्विक चावल आपूर्ति में कमी के अलावा, वैश्विक चावल बाजारों में घबराहट की प्रतिक्रिया और अटकलों से कीमतों में बढ़ोतरी होगी। गैर बासमती चावल पर प्रतिबंध के कारण सबसे ज्यादा नेपाल, बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट और केन्या जैसे देश प्रभावित होने की संभावना है, जो इस अनाज श्रेणी के प्रमुख खरीदार हैं।
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