भारतीय अधिकारी काबुल में तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से की मुलाकात, भारतीय परियोजनाओं की भी की समीक्षा

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के सत्ता में आने के बाद पहली बार भारत से विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) के एक वरिष्ठ राजनयिक के नेतृत्व में एक टीम काबुल गई है ताकि उस देश में भारतीय मानवीय सहायता कार्यों और आपूर्ति का जायजा लिया जा सके। और वहां सत्तारूढ़ तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से भी मुलाकात की।
यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा पाकिस्तान-अफगानिस्तान (Pakistan-Afghanistan) और ईरान मामलों के संयुक्त सचिव प्रभारी जेपी सिंह (JP Singh) के नेतृत्व में अफगानिस्तान पहुंची टीम ने भारतीय सहायता परियोजनाओं (Indian aid projects) की समीक्षा की और साथ ही तालिबान प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
हम जल्द से जल्द वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के अगले (16वें) दौर की प्रतीक्षा कर रहे हैं: भारत-चीन सीमा वार्ता पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची pic.twitter.com/oXlJULw0et
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 2, 2022
इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi,) ने गुरुवार को बताया था कि टीम तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात करेगी। उन्होंने कहा था कि वह मानवीय सहायता प्रदान करने में शामिल अंतरराष्ट्रीय संगठनों (International organizations) के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेंगे।
इसके अलावा, टीम उन साइटों का भी दौरा करेगी जहां भारत की सहायता परियोजनाएं चल रही हैं। वहीं, अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास को फिर से खोले जाने पर विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि पिछले साल 15 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए हमारे भारत स्थित भारतीय दूतावास (Indian Embassy) को वापस लाने का फैसला किया गया था।
हालांकि, स्थानीय कर्मचारी दूतावास परिसर की देखरेख जारी रखे हुए हैं। अगस्त 2021 में तालिबान शासन के सत्ता में आने के बाद से भारतीय राजनयिक टीम की अफगानिस्तान यात्रा काबुल में पहली उच्च स्तरीय उपस्थिति है। 15 अगस्त को भारत ने अफगानिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण 17 अगस्त, 2021 से अफगानिस्तान में बादल दूतावास की सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था।
सभी भारतीय राजनयिकों और नागरिकों को भी निकासी मिशनों के माध्यम से निकाला गया था। हालांकि, इस बीच पहले कतर में और फिर रूस में तालिबान प्रतिनिधियों (Taliban representatives) के साथ भारतीय राजनयिकों की बैठकें हुई हैं।
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