ट्रेन के बढ़ते हादसे को लेकर रेलवे ने उठाया यह बड़ा कदम, एक साल में 4000 ट्रेनें हुई प्रभावित

देश में मवेशियों के ट्रेन से टकराने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसी बीच भारतीय रेल विभाग (Indian Railway) ने ट्रेन की पटरियों के आस-पास लंबी बाउंड्री बनाने का बड़ा फैसला लिया है। यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnav) ने दी। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अब भारतीय रेलवे ट्रैन की पटरियों के आसपास फेंसिंग का 'प्रयोग' करने जा रहा है।
यह फेंसिंग उन जगहों पर लगाई जाएगी, जहां जानवरों के टकराने के ज्यादा मामले सामने आते हैं। वैष्णव ने कहा कि इस साल मवेशियों की टक्कर से 4 हजार से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। जिसमें वंदेभारत ट्रेन भी शामिल है। जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने कहा, 'हम बाउंड्री बनाने के काम को लेकर काफी गंभीरता से काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'फिलहाल हम दो अलग-अलग डिजाइन्स पर गौर कर रहे हैं। हमने उनमें से एक को मंजूरी दे दी है जो ऐस स्टर्डी वॉल होगी। आने वाले 5 से 6 साल में हमने 1000 किलोमीटर लंबी सीमा बनाने का फैसला लिया है। यह बाउंड्री कितना काम करेगी, यह देखने के बाद ही हम आगे के फैसले लेंगे।' उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि परंपरागत रूप से बनी सीमा इस समस्या से लड़ने के लिए काफी नहीं है। अगर इस तरह की सीमाएं बना दी जाती हैं तो आसपास रहने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
बार-बार क्यों क्षतिग्रस्त हो रही है वंदे भारत?
वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह डिजाइन किया गया है, ताकि टक्कर के बाद भी यह ट्रेन और उसमें सवार यात्रियों को नुकसान न पहुंचे। इसी वजह से वंदे भारत ट्रैन के आगे के हिस्से को कोन शेप में रखा गया है। यह हिस्सा मजबूत फाइबर प्लास्टिक से बना हुआ है। हादसे में इसमें आगे के सिर्फ कोन शेप हिस्से को नुकसान पहुंचता है, बाकी गाडी का अन्य हिस्सा, चेसिस और इंजन खराब होने से बच जाता हैं। यही वजह है कि मवेशियों के टकराने के बाद वंदे भारत का आगे का हिस्सा बार-बार क्षतिग्रस्त हो जाता है। वही वंदे भारत के नोज कोन कवर की कीमत 10 हजार से 15 हजार रुपए प्रति पीस है। इसे चंद घंटों में आसानी से बदला जा सकता है।
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