भारतीय रेलवे का बजट पेंशन देने से बिगड़ा, कमाई से ज्यादा हुआ खर्चा

कोरोना काल में देश के रेल परिवहन को बहुत बुरी मार पड़ी है। ट्रेनों की आवाजाही बंद होने के कारण गत तीन महीने में रेलमंत्रालय का नेट-सरप्लस पचास फीसदी गिर गया। सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने हरिभूमि को बताया कि गत 14 जुलाई को सचिवों के समूह की बैठक में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद यादव ने खाता-बही रखते हुए दो टूक कहा कि रेलवे को वित्तमंत्रालय से फौरी मदद की आवश्यकता है।
महामारी के कारण विशेष परिस्थितियों में एक तरफ आमदनी तेजी घटी है वहीं खर्चा उतनी ही तेजी से बढ़ा है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने बैठक में बताया कि केवल पेंशन के मद में रेल मंत्रालय को 52 हजार करोड़ रुपए की देनदारी है। इसमें उन्होंने वित्त सचिव से मदद की गुहार लगाई। विदित हो कि रेलमंत्रालय की ओर से पूर्व में भी वित्तमंत्रालय से गुजारिश की गई थी कि पेंशन फंड की स्थापना की जाए और इसका कोई तोड़ निकाला जाए।
उस समय कहा गया था कि रेलवे की कुल आमदनी का 25 फीसदी हिस्सा केवल रिटायर हो गए कर्मचारियों के पेंशन में ही खर्च हो जाता है। अभी के आर्थिक हालातों को देखते हुए पेंशन मद में 52 हजार करोड़ रुपए की राशि देखकर रेलमंत्रालय की बैलेंस-सीट भी हांफ रही है। सूत्रों ने बताया कि विभिन्न तरीकों से खर्चे में कटौती कर रेलवे ने हालांकि 21 हजार करोड़ रुपए तकरीबन बचाए हैं।
कमाई का आंकड़ा औंधे मुंह गिरा
लेकिन कमाई का आंकड़ा औंधे मुंह गिरा है जिसके कारण इस वित्तीय वर्ष 2019-2020 में बिना वित्तीय मदद के संभलना नामुमकिन है। सूत्रों ने बताया कि यही वजह है कि प्राइवेट ट्रेन का परिचालन हो या फिर स्टेशनों और टिकटों पर विज्ञापन की रणनीति, ये सब इसीलिए जमीन पर उतारे गए थे कि रेलवे को आमदनी बढ़े। लेकिन, इन उपायों को कोरोना महामारी पूरी तरह से निगल गई।
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