भारतीय रेलवे 2030 तक बनेगा देश के विकास का इंजन, अभी तक 1.46 लाख करोड़ से किया रेलवे में सुधार

भारतीय रेलवे 2030 तक बनेगा देश के विकास का इंजन, अभी तक 1.46 लाख करोड़ से किया रेलवे में सुधार
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केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित निवेश के साथ भारतीय रेल को देश का विकास इंजन बनाने का रोड मैप तैयार किया गया है। इसी लक्ष्य के तहत वर्ष 2019-20 में भारतीय रेल ने बुनियादी ढांचे के विकास पर नए सिरे से काम शुरू करते हुए बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन का 90.8 फीसदी का इस्तेमाल किया है।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित निवेश के साथ भारतीय रेल को देश का विकास इंजन बनाने का रोड मैप तैयार किया गया है। इसी लक्ष्य के तहत वर्ष 2019-20 में भारतीय रेल ने बुनियादी ढांचे के विकास पर नए सिरे से काम शुरू करते हुए बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन का 90.8 फीसदी का इस्तेमाल किया है। इस वित्तीय वर्ष के दौरान देश में 5782 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग के विद्युतीकरण का काम पूरा किया गया है, वहीं 5,622 करोड़ रुपए की लागत पर 562 किलोमीटर रेल लाइन निर्माण की 15 महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

रेल मंत्रालय ने वर्ष 2019-2020 के दौरान रेलवे के बुनियादी विकास को मजबूत करने के लिए शुरू की गई परियोजनाओं के बारे में बताया कि वर्ष 2019-2020 में संशोधित बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 1,61,351, करोड़ रुपए के आवंटन में से मार्च 2020 के अंत तक 1,46,507 करोड़ रुपए यानि 90.8 फीसदी के पूंजीगत व्‍यय का इस्तेमाल किया गया है। भारतीय रेल को वर्ष 2030 तक 50 लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित निवेश के साथ देश का विकास इंजन बनाने के तैयार किए गए रोडमैप के तहत रेलवे परियोजनाओं को तेजी से कार्यान्वित किया जा रह है।

देश में रेलवे के कायाकल्प की दिशा में वर्ष 2019-2020 के दौरान 39,836 करोड़ रुपए की लागत से नई लाइन बिछाने, लाइनों के दोहरीकरण और उनके गेज परिवर्तन तथा उन्‍हें शुरु करने का काम दोगुना बढ़कर 2,226 किलोमीटर किया गया है, जो इससे पहले साल में 1,520 किमी हो सका था। इसमें अकेले 1458 किलोमीटर रेल लाइन दोहरीकरण परियोजनाओं पर 22,689 करोड़ रुपए खर्च किया गया है, जो 2009-14 के बीच इस कार्य के खर्च किए गए 2,462 करोड़ रुपए की तुलना औसत वार्षिक खर्च से 9 गुना अधिक है।

रेल मंत्रालय के अनुसार देश में इलेक्ट्रिक इंजन से सभी रेलगाड़ियां चलाने के मकसद से तेजी के साथ चलाई जा रही रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण की परियोजना के तहत वित्त वर्ष 2019-20 में रेलवे ने 5782 किमी रेल मार्ग का विद्युतीकरण की परियोजना को पूरा किया है, जबकि 31 मार्च तक 4,378 किमी मार्ग के विद्युतीकरण का कार्य चालू किया जा चुका है।

कुछ महत्‍वपूर्ण परियोजनाएं पूरी

भारतीय रेल ने महत्‍व और प्रगति कार्यों के आधार पर रेल लाइनों के दोहरीकरण की अपनी 15 अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने और उन्‍हें चालू करने को प्राथमिकता दी है। रेलवे के अनुसार वर्ष 2019-20 के दौरान शुरू की गई रेलवे परियोजनाओं के तहत हरियाणा-राजस्थान में 320.04 किलोमीटर लंबी जयपुर-रिंगस-सीकर-चूरू और सीकर-लोहारू तक 320.04 किमी लंबी रेल लाइन गेज परिवर्तन परियोजना प्रगति पर है।

वहीं हरियाणा और दिल्‍ली में तुगलकाबाद-पलवल नाम से चौथी लाइन के दोहरीकरण की 34 किमी लंबी सुपर क्रिटिकल परियोजना पूरी की गई है। दिल्‍ली में नई दिल्‍ली से तिलक ब्रिज तक 7 किमी लंबी रेल लाइन(5 वीं और छठी लाइन) दोहरीकरण की लंबित पड़ी अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण परियोजना पूरी हो चुकी है।

छग में खरसिया-कोरीछापर परियोजना को पहुंचाया गया अंजाम तक

छत्‍तीसगढ़ में खरसिया-कोरीछापर की 42.57 किमी लंबी नई कोल लाइन परियोजना को भी इस दौरान अंजाम तक पहुंचाया गया है। इसी प्रकार मध्‍यप्रदेश में कटनी यार्ड को बाइपास कर निकलने वाली 2 किमी लंबी जुखेरी बाईपास कॉर्ड लाइन, 7 किमी लंबी सोनताली-भगरतावा परियोजना, 25 किमी लंबी इटारसी-बुधनी सुपर क्रिटिकल रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना को कार्यान्वित किया गया है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में भी रेलवे की कई परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं।

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