Indira Gandhi Jayanti: कभी लाल किले से इंदिरा गांधी ने कही थी आंदोलन को लेकर ये बड़ी बात, जयंती पर PM Modi और राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि

Indira Gandhi Jayanti: कभी लाल किले से इंदिरा गांधी ने कही थी आंदोलन को लेकर ये बड़ी बात, जयंती पर PM Modi और राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि
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इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), भारत की वो पहली महिला प्रधानमंत्री जिन्होंने देश की बागड़ोर 14 सालों तक संभाली, आज उनकी 104वीं जंयती मनाई जा रही है। साथ ही आज का दिन किसानों के लिए बहुत खास है क्योंकि मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों (3 Farm Laws) को वापस ले लिया है।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi), भारत की वो पहली महिला प्रधानमंत्री जिन्होंने देश की बागड़ोर 14 सालों तक संभाली, आज उनकी 104वीं जंयती मनाई जा रही है। साथ ही आज का दिन किसानों के लिए बहुत खास है क्योंकि मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों (3 Farm Laws) को वापस ले लिया है। देश में हरित क्रांति लाने के श्रेय आयरन लेडी को ही जाता है। 1966 से 77 तक लगातार तीन कार्यकाल और 1984 में उनकी हत्या तक चार साल तक चौथी बार सेवा जारी थी।

19 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती के मौके पर श्रद्धांजलि दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। पीएम मोदी ने लिखा कि मैं पूर्व पीएम इंदिरा गांधी जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। कांग्रेस नेताओं के अलावा राजनीति और समाज के अन्य लोग भी उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट कर अपनी दादी को लेकर कहा कि आज भी ऐसा लगता है कि आप मेरे साथ हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि देश के सबसे होनहार प्रधानमंत्रियों में इंदिरा गांधी जी का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनकी सबसे बड़ी शक्ति थी जनता के बीच रहकर उनके सुख-दुख बाँटना। दादी, आपका साहस हमेशा प्रेरित करता है। आपको आज भी अपने साथ पाता हूँ। राहुल गांधी ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

19 नवंबर 1917 को इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी के रूप में जन्मी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी थीं। अपने जीवन के दौरान उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के कामकाज में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। उन्होंने नेतृत्व की लड़ाई में अन्य नेताओं को पछाड़ते हुए शास्त्री जी को भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में सफलता दिलाई। इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 तक कार्यालय में अपना पहला कार्यकाल पूरा किया, और दूसरा 1981 से 1984 तक था, जब तक कि उनके अपने सुरक्षा गार्डों के हाथों उनकी हत्या नहीं हो गई।

कहते हैं कि उन्होंने एक बार लाल किले की प्राचीर से आंदोलन को लेकर बड़ा संदेश देश की जनता को दिया था। अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि कोई भी आंदोलन हिंसक हो ही जाता है और विकास के लिए हो रहा आंदोलन ही विकास में बाधा बन जाता है। ये बयान साल 1983 में दिया गया था और 1984 में उनकी हत्या कर दी गई।

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