International Yoga Day 2019 : हिंदी का सबसे बेस्ट अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध और भाषण

International Yoga Day 2019 Essay And Speech In Hindi : 21 जून (21) को विषभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जायेगा। संयुक्त राष्ट्र (United Nation) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 की थीम क्लाइमेट एक्शन (International Yoga Day 2019 Theme Climate Action) रखी गई है। इस अवसर पर हम आपके लिए योगाचार्य डॉ. सत्य नारायण यादव द्वारा लिखा सबसे बेस्ट हिंदी में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध (International Yoga Day Essay In Hindi) और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भाषण (International Yoga Day Speech In Hindi) लेकर आये हैं। प्रस्तुत है योगमय जीवनशैली की महत्ता को रेखांकित करता आलेख...
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
आधुनिक जीवनशैली में भौतिक संसाधनों पर बढ़ती निर्भरता और प्रकृति से दूरी शारीरिक, मानसिक विकृतियों को न सिर्फ उत्पन्न कर रही है बल्कि बढ़ा भी रही है। ऐसे में प्रकृति से निकटता और योगमय जीवन को अपनाकर निरोग रहने के साथ ही हम सदैव ऊर्जावान भी महसूस करेंगे। आज के आधुनिक युग में इंसान एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा, आगे बढ़ने की होड़, घरेलू काम-काजी जिम्मेदारियों के बढ़ते बोझ और अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। हालांकि वर्तमान जीवनशैली में ऐशो-आराम के तमाम संसाधन बढ़ रहे हैं फिर भी मानसिक शांति का अभाव है।
प्रकृति से बढ़ी है दूरी
आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी विडंबना है कि हम आधुनिक तो होते जा रहे हैं, लेकिन प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। व्यस्ततम जीवनशैली की बदौलत न हम उगते हुए सूरज को देख पाते हैं, न डूबते हुए सूरज को। अब चांद-सितारे गिनना जैसी बातें कहानियां बन गई हैं। पेड़-पौधे, हवा, मिट्टी को पास से हम महसूस ही नहीं कर पाते। पक्षियों की मधुर आवाज हमें सुनने को नहीं मिलती। आधुनिक युग में सुख-सुविधाएं जुटाते-जुटाते अपने लिए भी समय नहीं निकाल पाते। मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर, टेलीविजन आधुनिक युग के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से आत्मकेंद्रित या अंतर्मुखी होते जा रहे है और दूसरों से कटते जा रहे हैं। इससे नकारात्मक विचारों को बढ़ावा मिलता है।
नतीजतन अवसाद, अकेलापन जैसी कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। पहले कैंसर हजारों में से किसी एक को होता था, अब आम बीमारी की तरह हो गई है। अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ, सर्वाइकल, सिरदर्द, आंखों में दर्द, मधुमेह, मोटापा, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना, आंखों में जलन, लिवर फेल्योर, फैटी लिवर, हृदय रोग, सिरोयसिस, मानसिक बीमारियां खूब हो रही हैं। इन रोगों से बचाव में योग और प्राकृतिक चिकित्सा अहम भूमिका अदा कर सकती है। इस बार योग दिवस की थीम-क्लाइमेट एक्शन, इसी विचार के आधार पर रखी गई है कि जब हम प्रकृति के करीब होंगे, जीवन में उसकी महत्ता को समझेंगे तो उसके संरक्षण के लिए प्रयास करेंगे।
प्राकृतिक चिकित्सा
प्राकृतिक चिकित्सा कोई चिकित्सा नहीं है, बल्कि प्रकृति के पंचभूत तत्वों से तादात्म्य है। प्राकृतिक चिकित्सकों का मानना है 'मिट्टी, पानी, धूप, आकाश, हवा-सब रोगों की एक दवा।' योगियों की तरह सुबह-शाम कुछ समय प्रकृति के सान्निध्य में रहने से शरीर में बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते हैं और हम स्वस्थ रहते हैं। पंच तत्वों का लाभ उठाएं-सुबह जल्दी उठ कर हरे-भरे मैदान, पार्क या बगीचे टहलने जाएं ताकि शुद्ध-ताजी हवा में सांस ले सकें, घास-मिट्टी पर नंगे पैर घूमें। गर्मियों में दिन में बाहर नहीं निकल सकते तो सूर्योदय के समय कम से कम आधा घंटा धूप लें। पेड़-पौधों के समीप रहें, ताजी हवा ऑक्सीजन ग्रहण करें। सात्विक भोजन करें यानी अपनी डाइट में मौसमी फल-सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। पानी अधिक से अधिक पिएं। इस तरह सभी प्राकृतिक तत्वों का संतुलन शरीर में बनेगा और प्रकृति हमें शारीरिक-मानसिक व्याधियों से बचाएगी।
क्या है योग (What Is Yoga)
योग चिकित्सा, एक विज्ञान है, एक अनुशासित जीवनशैली है, जीवन जीने की कला है। योग का मतलब केवल कुछ आसन या ध्यान करना मात्र नहीं है, बल्कि जीवन में आई विसंगति से दूर रहने के लिए अंतर्मुखी जीवन जीना हैं। नियमित ध्यान और प्राणायाम, दिमाग में फील गुड हॉर्मोन रिलीज करता है, जिससे व्यक्ति प्रसन्नचित रहता है। गीता में श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि हम जो भी काम करें, वो पूरी ईमानदारी, निष्ठा, लगन, मेहनत, त्याग और आनंद भाव से करें और उसमें पूरी सफलता प्राप्त करें। यह भी एक प्रकार का योग है। उसमें अपनी क्षमता, विचारों और अपने श्रम की पूर्णता की सफलता प्राप्त करें। किसी भी काम की परिपूर्णता या पराकाष्ठा तक पहुंच जाना भी योग है।
आसन, प्राणायाम और ध्यान (Aasan, Pranayam and Dhyan)
वैसे तो आष्टांग योग के आठ अंग होते हैं लेकिन आधुनिक युग में केवल आसन, प्राणायाम और ध्यान को ही योग कहते हैं। इसका शरीर के सभी अंगों, ग्रंथियों और इंद्रियों पर प्रभाव पड़ता है। इनमें सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, योग मुद्रा, शुद्धिकरण जैसे आसन अहम हैं। इनसे अपनी सांसों, मन और प्राण शक्ति पर नियंत्रण सीखा जा सकता है। मन में शुद्ध विचारों की उत्पत्ति होती है और हम सकारात्मक कर्मों की ओर अग्रसर होते हैं। हमारा जीवन तनावरहित हो जाता है। नियमित योगाभ्यास से जीवनशैली में बदलाव आता है। संपूर्ण स्वास्थ्य का अर्थ है-तन, मन और आत्मा का स्वास्थ्य, जिसे योग से पाया जा सकता है। योगासन में आसन का विशेष स्थान है। ये शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं।
कई तरह के आसन (Types Of Yoga)
खड़े होकर किए जाने वाले कुछ आसन हैं-ताड़ासन, कटिचक्र आसन, कोणासन, वृक्षासन आदि। बैठकर किए जाने वाले आसन हैं- वज्रासन, गोमुखासन, सिंहासन, वक्रासन, पद्मासन आदि। पेट के बल लेट कर किए जाने वाले आसन हैं-नौकासन, धनुरासन, शलभासन, भुजंगासन। सीधे लेट कर किए जाने वाले आसन हैं- सर्वांगासन, हलासन, चक्रासन, पवनमुक्तासन। नियमित रूप से 4-5 आसन हर मुद्रा में किए जाएं और इनके बाद ब्रीदिंग एक्सरसाइज यानी प्राणायाम और प्रभु का ध्यान किया जाए तो अनेक प्रकार की बीमारियों से बच सकते हैं।
नियमित करें योगाभ्यास (Yogabhays)
स्वस्थ व्यक्ति को नियमित रूप से योगाभ्यास जरूर करना चाहिए। योगाभ्यास को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए। कम से कम आधा घंटा योगाभ्यास जरूर करें, इससे आप चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ रहेंगे। जो काम आप 8-10 घंटे मंह करते थे, नियमित योगासन करने से वही काम आप बहुत कम समय में कर पाएंगे।
इन बातों का रखें ध्यान (Precautions For Yoga)
-योगाभ्यास करने से पहले अपने शरीर की स्थिति की जांच जरूर करें क्योंकि कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं, योगासन करने से ज्यादा नुकसान होता है। अल्सर, कोलाइटस, हार्निया जैसी बीमारियों में पीछे झुकने वाले आसन नहीं करने चाहिए। इसी तरह स्पाइनल प्रॉब्लम, सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस जैसी बीमारियों में आगे झुकने वाले आसन न करें। इसी तरह उच्च रक्तचाप, हार्ट प्रॉब्लम हैं तो जंपिंग या बहुत जोर लगाकर करने वाले योगासन न करें। सिरदर्द हो तो कठिन आसन न करें। जुकाम, बुखार, दस्त, मासिक धर्म की अवस्था में योगासन बिल्कुल न करें। योगाचार्य की देख-रेख में ही योगासन करें।
-सिजेरियन ऑपरेशन करा चुकी महिलाएं कम से कम 6 महीने तक योगासन न करें। जिन लोगों को किसी अंग का ट्रांसप्लांट हुआ है, वे एक महीने के बाद डॉक्टर की देख-रेख में योगासन या व्यायाम कर सकते हैं। बाईपास सर्जरी के मरीज खान-पान का ध्यान रखते हुए एक महीने के बाद योगगुरु की देख-रेख में ब्रीदिंग प्राणायाम योगाभ्यास शुरू कर सकते हैं।
-योगाभ्यास करने का सबसे अच्छा समय सुबह का माना जाता है क्योंकि सुबह हम कम से कम 6 घंटे खाली पेट रहते हैं। हालांकि योगाभ्यास के लिए दिन में 4 टाइम रखे गए हैं-प्रातःकाल, सायंकाल, रात के खाने से पहले, अर्द्धरात्रि। सूर्योदय या ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इस दौरान पेट काफी हल्का होता है और नींद लेने के बाद शरीर काफी रिलेक्स होता है।
-योगाभ्यास करने के समय ध्यान रखें कि आधे-एक घंटे पहले और बाद में कुछ खाएं-पिएं नहीं। योगाभ्यास के दौरान शरीर में ऊष्मा का स्तर बढ़ जाता है। नहाना हो तो एक घंटे बाद नहाए।
-योगाभ्यास जमीन पर सीधा न करके मैट, चटाई या दरी पर ही करें। क्योंकि योगा करते हुए शरीर से ऊर्जा निकलती है।
बीमारियों में उपयोगी आसन
तनाव- ध्यान, हास्य योग
जोड़ों में दर्द- भुजंगासन, शलभासन, वक्रासन, त्रिकोणासन, सर्पासन, चंद्रासन, ताड़ासन
सिरदर्द- शीर्षासन, भ्रामरी, सिद्धासन, सर्वांगासन
डायबिटीज- सूर्य नमस्कार, कपालभाति, मयूरासन, अग्निसार क्रिया, कूर्मासन और पाद पश्चिमोत्तासन
थाइरॉयड- सर्वांगासन , उष्ट्रासन, उज्जयी क्रिया
मोटापा- सूर्य नमस्कार, कपालभाति, वक्रासन
एसिडिटी- वज्रासन, पवनमुक्तासन, पादपश्चिमोत्तासन
अस्थमा- गोमुखासन, भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम
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