अरुणाचल प्रदेश: क्या भारत के साथ 'मनोवैज्ञानिक युद्ध' कर रहा चीन, जानें इसके बारे में

बीते हफ्ते अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में 15 जगहों के नाम चीन (China) के द्वारा बदले जाने के बाद एक बार फिर पूरी दुनिया में 'मनोवैज्ञानिक युद्ध' (psychological war) के मुद्दे पर बहस छीड़ गई है। माना जा रहा है कि भारत के खिलाफ चीन ये रणनीति अपनाने जा रहा है। चीन ने पिछले हफ्ते अरुणाचल प्रदेश में सेला दर्रे का नाम बदलकर 'से ला' कर दिया। इस पर रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि चीनी नाम में बदलाव से यह तथ्य नहीं बदलता है कि यह स्थान भारत का हिस्सा है, बल्कि मनोवैज्ञानिक युद्ध पर चीन के जोर को रेखांकित करता है।
30 दिसंबर 2021 को चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों का नाम बदलने पर बयान देते हुए भारत की तरफ से कहा गया कि ये आविष्कृत नाम निर्दिष्ट करने से यह तथ्य नहीं बदल जाता है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से रहा है और हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन की इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल में 15 स्थानों के नामों की घोषणा की थी। यह दूसरी बार है जब चीन ने अरुणाचल के स्थानों का नाम बदला है। अरिंदम बागची ने कहा कि चीन ने 2017 में भी ऐसे नाम देने की मांग की थी।
मनोवैज्ञानिक युद्ध क्या है
जब कोई लड़ाई मनोवैज्ञानिक तरीकों से लड़ी जाती है। जिसका उद्देश्य दुश्मन के भीतर एक नियोजित मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया पैदा करना होता है, तो वह मनोवैज्ञानिक युद्ध होता है। इसे मन की लड़ाई भी कहा जाता है और इसका उद्देश्य हथियारों की लड़ाई से पहले दुश्मन का मनोबल तोड़ना है। प्राचीन काल से लोग मनोवैज्ञानिक युद्ध करते रहे हैं। अगर आप इतिहास में जाएं तो पेलुसियम की लड़ाई सबसे बड़ा उदाहरण है। यह लड़ाई 525 ईसा पूर्व में फारसियों और मिस्रियों के बीच लड़ी गई थी।
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