बालाकोट एयर स्ट्राइक पर इटली के पत्रकार का बड़ा खुलासा, जैश के 170 आतंकी मारे गए, अब भी अस्पताल में 45 आतंकी

बालाकोट एयर स्ट्राइक पर इटली के पत्रकार का बड़ा खुलासा, जैश के 170 आतंकी मारे गए, अब भी अस्पताल में 45 आतंकी
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पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायु सेना के हमले को लेकर इटली के एक पत्रकार ने बड़ा खुलासा किया है। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी।

पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायु सेना के हमले को लेकर इटली के एक पत्रकार ने बड़ा खुलासा किया है। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमले के बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस पर सवाल उठाते रहे हैं। इस बीच इटली की पत्रकार फ्रेंसेसा मैरिनो ने स्ट्रिंगजेरासिया डॉट इट में इस घटना का पूरा विवरण छापकर देश दुनिया के लोगों को हैरान कर दिया है। मैरिनो ने लिखा है कि 'भारतीय वायु सेना ने तड़के साढ़े तीन बजे हमला किया।

मेरी सूचना के मुताबिक, शिंकयारी आर्मी कैंप से सेना की एक टुकड़ी घटनास्थल पर पहुंची। मैरिनो ने आगे बताया कि 'सेना की टुकड़ी हमले के दिन सुबह 6 बजे घटनास्थल पर पहुंची। शिंकयारी बालाकोट से 20 किलोमीटर दूर है और यह पाकिस्तान आर्मी का बेस कैंप भी है। इस जगह पर पाकिस्तानी सेना की जूनियर लीडर्स एकेडमी भी है। आर्मी की टुकड़ी के बालाकोट पहुंचते ही वहां से कई जख्मी लोगों को पाकिस्तान आर्मी के अस्पताल पहुंचाया गया। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक आर्मी कैंप के अस्पताल में अभी भी तकरीबन 45 लोगों का इलाज चल रहा है। इलाज के दौरान 20 लोगों की मौत हो चुकी है।

पाक आर्मी ने कस्टडी में रखा

इटैलियन पत्रकार ने बताया कि 'इलाज के बाद जो लोग स्वस्थ हो गए हैं उन्हें पाकिस्तान आर्मी ने अपनी कस्टडी में रखा है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं किया गया है। कई हफ्तों में छानबीन कर अपने सोर्स के माध्यम से जो जानकारी मैंने जुटाई है, उसके मुताबिक कहा जा सकता है कि हमले में जैश-ए-मोहम्मद के कई कैडर मारे गए हैं। मृतकों की संख्या 130-170 तक हो सकती है। इसमें वे लोग भी हैं जिनकी मौत इलाज के दौरान हुई है।

मारे गए आतंकियों में 11 ट्रेनर

इटैलियन पत्रकार मैरिनो ने आगे बताया, जो आतंकी मारे गए उनमें 11 ट्रेनर भी हैं। मृतकों में कुछ बम बनाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने वाले भी लोग हैं। जिन परिवारों के लोग इस हमले में मारे गए,उनकी ओर से कोई जानकारी बाहर लीक न हो, इसके लिए भी जैश-ए-मोहम्मद ने पूरे बंदोबस्त किए। मृतकों के घर जाकर जैश के आतंकियों ने मुआवजा तक दिया।

200 घंट में बनाई गई हमले की योजना

गौरतलब है कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी शिविर पर भारतीय वायुसेना की ओर से किए गए हमले की योजना बनाने में 200 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा था। भारत में किसी भी जगह पर दूसरे फिदायीन हमले से जुड़ी खुफिया जानकारी के बाद इस हमले की योजना शुरू हुई थी। सूत्रों ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले के महज दो दिनों बाद सरकार को खुफिया जानकारी मिली थी। सूत्र ने बताया कि खुफिया जानकारी में भारत के किसी भी हिस्से में अन्य आत्मघाती हमले के बारे में चेतावनी दी गई थी, जिसके पुलवामा की तुलना में ज्यादा बड़ा होने की बात कही गई थी। जानकारी मिलने के तुरंत बाद सरकार के आला अधिकारियों और संबंधित मंत्रियों, सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच सिलसिलेवार बैठकें हुईं,ताकि जेईएम आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।

विदेशी मीडिया में उठाए गए थे कई सवाल

विदेशी मीडिया में इस हमले को लेकर कई सवाल उठाए गए. यहां तक कि पाकिस्तान ने भी इससे पल्ला झाड़ा. ऐसे में इटली से आई ये रिपोर्ट पाकिस्तान के खिलाफ भारत की बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने पर मुहर लगाती है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने जब जवाबी कार्रवाई का फैसला किया तब से बालाकोट भारतीय खुफिया एजेंसियों के निशाने पर था, जो जेईएम का ठिकाना है। बालाकोट नियंत्रण रेखा से काफी दूर है, जो आतंकियों के प्रशिक्षण के लिए एक सुरक्षित जगह है और तो और नियंत्रण रेखा पर स्थित भारतीय चौकियों पर कार्रवाई करने वाले पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) को भी बालाकोट में प्रशिक्षण दिया जाता है। लिहाजा इस हमले में पाकिस्तान को बड़ी क्षति होने की आशंका जताई जा रही है।

जैश के आतंकी कैंप पर पाक सेना का नियंत्रण

मैरिनो ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, जैश-ए-मोहम्मद के कैंप तक पहुंचने के लिए पहाड़ी की चढ़ाई करनी होती है। जहां से इसका रास्ता शुरू होता है, ठीक उसी मुहाने पर ब्लू पाइन होटल है। पहाड़ी पर पहुंचने के बाद एक साइन बोर्ड दिखता है जिस पर तालीम-उल-कुरान लिखा है। यह बोर्ड पहले वाले उस बोर्ड की तरह नहीं है जिस पर जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अजहर का नाम लिखा था। अजहर के अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद बोर्ड से उसका नाम हटा दिया गया है। जैश के इस आतंकी कैंप का पूरा नियंत्रण पाकिस्तान आर्मी के हाथों में है। इसकी कमान मुजाहिद बटालियन के कैप्टेन रैंक का एक अधिकारी संभालता है। कैंप तक जाने के लिए धूल भरी सड़क पर लोगों का आना-जाना प्रतिबंधित है। हालत यह है कि स्थानीय पुलिस भी यहां तक नहीं पहुंच सकती।

फिलहाल कैंप में कुछ बच्चे और चार मौलवी दिख रहे

इटैलियन पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 'फिलहाल कैंप में कुछ बच्चे और 3-4 मौलवी ही दिख रहे हैं क्योंकि इसे पूरी तरह खाली करा दिया गया है ताकि जैश की किसी भी गतिविधि का निशान न मिल सके। जैश के कैंप के ठीक बगल में बिसियन टाउनशिप है जहां के लोग अभी भी चर्चा करते पाए जाते हैं कि हमले के अगले दिन कई गाड़ियों में मलबा भर कर कुन्हार नदी में गिराते देखा गया। इन इलाकों में यह भी चर्चा है कि जैश ने अपने लोगों को भरोसा दिलाया है कि वक्त मिलते ही भारतीय वायु सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का बदला लिया जाएगा।

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