जम्मू-कश्मीर: सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से नाकाम हुआ पुलवामा जैसा आतंकी हमला, अवंतीपुरा इलाके में पकड़ा गया 52 किलोग्राम विस्फोटक और 50 डेटोनेटर

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की मुस्तैदी ने पुलवामा जैसे आतंकी हमले की घटना को वक्त रहते नाकाम कर दिया है। खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर गुरुवार सुबह 8 बजे दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा के लेथपुरा और अवंतीपुरा के गाड़ीखल गांव के जंगल में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों की तलाश में सेना की 42 राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की 130 बटालियन ने करीब 5 घंटे लंबा संयुक्त अभियान चलाया। जिसमें उसे 52 किलोग्राम विस्फोटक और 50 डेटोनेटर हाथ लगे हैं। विस्फोटक और डेटोनेटरों को पानी के दो बड़े-बड़े सिंटेक्स के टैंकों में छुपाकर रखा गया था। इसमें विस्फोटक 125 ग्राम के कुल 416 पैकेटों में भरा गया था।
पुलिस ने अवंतीपुरा थाने में इस मामले को लेकर अनलॉफुल एक्टिविटी एक्ट के तहत एक एफआईआर दर्ज की ली है। साथ ही जैश के आतंकियों और इतनी भारी मात्रा में यहां तक विस्फोटक पहुंचाने वाले स्रोत की पहचान करने के लिए जांच जारी है।
गौरतलब है कि बीते वर्ष फरवरी महीने में पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद ने करीब 40 किलो आरडीएक्स के साथ सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती आतंकी हमला किया था। जिसमें सीआरपीएफ के कुल 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान में मौजूद जैश के आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए बालाकोट एयरस्ट्राइक की थी।
दो टैंकों में भरा था विस्फोटक
सुरक्षाबलों को अपनी जांच के दौरान उक्त जगहों पर दो प्लास्टिक 250 लीटर के दो टैंक मिले। जिसमें विस्फोटक और डेटोनेटरों को छुपाकर रखा गया था। पहले में विस्फोटक की 416 गेलेटिन स्टिक थीं और दूसरे में 50 डेटोनेटर मिले। डेटोनेटरों को बम निरोधक दस्ते ने निस्क्रिय कर दिया। इससे साफ जाहिर है कि आतंकी इस विस्फोटक की मदद से जम्मू-कश्मीर में किसी बड़े हमले की साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे। जिसे सुरक्षाबलों की चौकसी ने नाकाम कर दिया है।
एलओसी के दौरे पर सेनाप्रमुख
लद्दाख में एलएसी का दौरा करने के बाद अब सेनाप्रमुख जनरल एम़ एम़ नरावणे दो दिनों के एलओसी के दौरे पर हैं। इस दौरान वह सेना की श्रीनगर बेस्ड 15वीं कोर के इलाके से लेकर जम्मू-कश्मीर के एलओसी के कुछ फारवर्ड इलाकों का भी दौरा कर सकते हैं। सेना के मुताबिक सेनाप्रमुख का यह दौरा चीन के साथ एलएसी पर जारी भारी तनाव के दौर में किया जा रहा है। जो कि अपने आप में काफी मायने रखता है। क्योंकि लद्दाख में उत्तरी सीमा के अलावा भारत को पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा से भी खतरा बना हुआ है। चीन के सदाबहार दोस्त के रूप में पाकिस्तान पहले से मौजूद है।
ऐसे में भारत अपनी पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं को सैन्य तैनाती के लिहाज से हर हाल में चाक चौबंद बनाए रखना चाहता है। सेनाप्रमुख का यह दौरा इसी परिपेक्ष्य में देश की हर सीमा पर चल रही सैन्य ऑपरेशनल तैयारियों को परखने से जुड़ा हुआ है। बीते 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद सेनाप्रमुख ने लेह का दौरा किया था।
इसके अलावा हाल ही में उन्होंने सभी फील्ड कमांडरों को किसी भी हालात से निपटने के लिए हरदम तैयार रहने और उच्चस्तरीय ऑपरेशनल तैयारी बनाए रखने के निर्देश भी दिए थे। बीते 3 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी ने भी लद्दाख का दौरा किया था और अग्रिम चौकियों पर तैनात सेना के जवानों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया था और चीन को सख्त संदेश भी दिया था। उनके इस दौरे में सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सेनाप्रमुख जनरल नरावणे भी साथ में थे।
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