महाराष्ट्र और कर्नाटक के विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अपील

महाराष्ट्र और कर्नाटक के विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अपील
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महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद बढ़ता ही जा रहा है। दोनों ही राज्य कानूनी तौर पर लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं। राज्यों का कहना है कि वह एक दूसरे को एक इंच जमीन भी नहीं देंगे।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद अब नया रूख लेता दिख रहा है। महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य जयंत पाटिल ने बुधवार को सदन में केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पर तत्काल दखल देते हुए विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए। पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के नेता जयंत पाटिल ने विधान परिषद में हो रही चर्चा के दौरान कहा कि केंद्र ने जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर पर तत्काल फैसला लेते हुए इसे केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। पीएम नरेंद्र मोदी को यही काम महाराष्ट्र और कर्नाटक के विवादित क्षेत्रों में भी करना चाहिए।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद

पाटिल ने आगे कहा कि लोकसभा को यह निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार को फौरन मामले में एक्शन लेनी चाहिए। बता दें कि कल ही महाराष्ट्र के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से पेश एक प्रस्ताव को पारित किया था।

पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकार बेलगाम, करवार बीदर निपानी, भालकी शहरों तथा 865 मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए कानूनी तौर पर लड़ाई करेगी। वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मामले में मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करना चाहिए कि जब तक यह सीमा का मसला उसके पास लंबित है, तब तक सभी विवादित क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए। इसके साथ ही कर्नाटक विधानसभा ने भी महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद को लेकर पिछले बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव के तहत राज्य के हितों की रक्षा करते हुए अपने पड़ोसी को एक इंच भी जमीन नहीं देने का संकल्प लिया गया है।

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