जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर ने वैक्सीन लगवाने से किया इनकार, जताई पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर आपत्ति

देश में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिए वैक्सीनेशन का अलगा चरण 1 मई से शुरू हो रहा है। इस चरण में 18 साल से 44 साल के व्यक्ती कोरोना वायरस की डोज ले सकेंगे। इसके लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू भी गई है। लेकिन इसी बीच पंजाब यूनिवर्सिटी में पूर्व डीन और जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर चमनलाल ने कोविड-19 की टीका लगवाने से इनकार कर दिया है। उन्हें टीका नहीं लगवाने की वजह पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताई है। साथ ही इस पत्र के जरिए उन्होंने अपनी मांग भी रखी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व प्रोफेसर चमनलाल ने पत्र में लिखा है कि 74 साल की उम्र में मुझे टीके की जरूरत है, क्योंकि यह चिकित्सकीय रूप से उचित है। उन्हें पत्र में लिखा है कि मुझे व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से कुछ आपत्ति है। इसकी वजह से मैंने अभी तक वैक्सीन नहीं ली है। इसकी वजह मैं यहां व्यक्त करना चाहता हूं।
पत्र में चमनलाल ने यह भी लिखा है कि मुझे उम्मीद है कि वैक्सीन की डोज से हजारों लोगों के जीवन को बचाने पर ध्यान दिया जाएगा। पर मेरी वैक्सीन न लेने की मेरी पहली बड़ी वजह टीकाकरण के साथ जारी वो प्रमाण पत्र है जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर को जबरन और अनिवार्य रूप से लगाया गया है।
पूर्व प्रोफोसर का कहना है कि दुनिया के किसी भी देश में टीकाकरण प्रमाण पत्र पर किसी भी राजनीतिक नेता की तस्वीर नहीं है। ये एक राष्ट्रीय अभियान है। जिसमें संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य या चिकित्सा अधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर होना चाहिए। भारत में हम असहाय नागरिकों को सत्तासीन नेता की फोटो के साथ प्रमाण पत्र दिया जा रहा है, मैं इसकी निंदा करता हूं। उन्होंने पंजाब सरकार से अपील की है कि वो प्रदेश में दिए जा रहे कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट से पीएम नरेंद्र मोदी के फोटो को हटाएं।
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