जेएनयू आंदोलन : फीस वृद्धि को लेकर छात्रों में खौफ, मांगे नहीं मानी तो लौटना पड़ सकता है घर

जेएनयू आंदोलन : फीस वृद्धि को लेकर छात्रों में खौफ, मांगे नहीं मानी तो लौटना पड़ सकता है घर
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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों को लगता है कि अगर छात्रावास शुल्क में वृद्धि हुई तो इससे जेएनयू में पढ़ने का छात्रों का सपना टूट सकता है। जेएनयू में फीस वृद्धि को लेकर चल रहे छात्रों के प्रदर्शन ने सोमवार को जोर पकड़ लिया

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों को लगता है कि अगर छात्रावास शुल्क में वृद्धि हुई तो इससे जेएनयू में पढ़ने का छात्रों का सपना टूट सकता है। जेएनयू में फीस वृद्धि को लेकर चल रहे छात्रों के प्रदर्शन ने सोमवार को जोर पकड़ लिया था, जिसके बाद उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई। इसके बाद मंगलवार को कई छात्राओं ने कहा कि अगर फीस वृद्धि हुई तो वे अपने घर वापस लौट जाएंगी। जेएनयू छात्रसंघ, मसौदा छात्रावास नियमावली को लेकर प्रदर्शन कर रहा है।

छात्रों का दावा है कि इसमें शुल्क वृद्धि, ड्रेस कोड और कर्फ्यू के समय को लेकर प्रावधान हैं। नियमावली बुधवार को कार्यकारी परिषद की बैठक में चर्चा के लिए रखी जा सकती है और अगर मंजूरी मिली तो उसे लागू कर दिया जाएगा। कला एवं सौंदर्यशास्त्र विद्यालय के सदस्य अमित राज ने कहा कि छात्रों को 2,500 रुपये छात्रावास शुल्क देना होता है। वृद्धि के बाद उन्हें 4,200 रुपये का भुगतान करना होगा क्योंकि इसमें 1,700 रुपये का सेवाशुल्क भी जोड़ दिया है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा बिजली, सफाई और पानी का शुल्क भी जोड़ा जाएगा। राज ने कहा, "हमें यह भी पता चला है कि विश्वविद्यालय अब से हर साल फीस में 10 प्रतिशत की वृद्धि करेगा। मेरे पिता बिहार में एक किसान हैं और मेरे दो छोटे भाई-बहन हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं। चूंकि मैं अपने पिता से पढ़ाई का पैसा नहीं लेता हूं, तभी वे अच्छे से पढ़ पा रहे हैं।" जेएनयू से एम.फिल कर रहे राज ने कहा कि छात्रों को पांच हजार रुपये छात्रवृत्ति मिलती है लेकिन कई बार यह राशि मिलने में देर हो जाती है।

उन्होंने कहा कि फिलहाल, हम छात्रवृत्ति राशि में से 2,500 रुपये का भुगतान छात्रावास शुल्क के रूप में करते हैं और शेष राशि का उपयोग हमारे शोध कार्य और अन्य खर्चों के लिए किया जाता है। लेकिन फीस वृद्धि के बाद, हम नहीं जानते कि हम क्या करेंगे। राज ने कहा कि उन्होंने छात्रवृत्ति लेने के समय एक वचन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे कि वे बाहर काम नहीं कर सकते, जिसका अर्थ है कि उनका महान जेएनयू का सपना खतरे में पड़ गया है।

रूसी भाषा में स्नातकोत्तर कर रहीं ज्योति कुमारी ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में नौकरी के अवसरों की वजह से एक पेशेवर पाठ्यक्रम में दाखिला लिया। उनके पिता बिहार के सासाराम में एक किसान हैं और उनकी वार्षिक आय 72,000 रुपये है। 'स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज' में स्नातकोत्तर कर रहीं मनीषा ने कहा कि अगर फीस वृद्धि लागू की जाती है तो उन्हें घर वापस बुला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं फिलहाल तीसरे सेमेस्टर में हूं और अगर फीस वृद्धि अगले साल जनवरी से प्रभावी होती है, तो हो सकता है कि मैं अपना चौथा सेमेस्टर भी पूरा नहीं कर पाउं।" हरियाणा की निवासी मनीषा ने जेएनयू में पढ़ने के लिये संघर्ष किया।

उन्होंने कहा कि स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, मेरे माता-पिता मेरी शादी करवाना चाहते थे लेकिन मैंने जेएनयू प्रवेश परीक्षा पास कर ली और उन्हें मना लिया। हरियाणा में, यह धारणा अभी भी है कि महिलाओं को जल्द से जल्द शादी कर लेनी चाहिए। दर्शनकारी छात्र मसौदा छात्र नियमावली को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जिसमें 1,700 रुपये का सेवा शुल्क का प्रावधान है। साथ ही छात्रावास सिक्योरिटी के लिये ली जाने वाली राशि को 5,500 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया गया है। हालांकि इसे बाद में वापस कर दिया जाता है। सिंगल-सीटर रूम का किराया 20 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति माह कर दिया गया है, जबकि डबल-सीटर रूम का किराया 10 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति माह किया गया है।

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