Joshimath Sinking: जोशीमठ में धरने पर बैठे प्रभावित परिवार, इस बात से हैं नाराज

Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ शहर पर आपदा आई हुई है। वर्षों से यहां रह रहे लोग अपने घरों को छोड़कर जा रहे हैं, कई परिवार यहां से जाने को तैयार नहीं हैं। राज्य सरकार मदद कर रही है। मुआवजे का ऐलान कर दिया है। लेकिन प्रशासन के साथ बैठक में मुआवजे की बात नहीं होने पर प्रभावित परिवार धरने पर बैठ गए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में लोगों का विरोध जारी है। अभी तक केवल दो होटलों को तोड़ने के आदेश जारी हुए हैं। जबकि अन्य भवनों को नहीं तोड़ा जाएगा। जोशीमठ में जारी संकट के बीच प्रशासन के साथ प्रभावित परिवारों की बैठक चल रही है। लोगों को अपने भविष्य की चिंता हो रही है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में जोशीमठ में संवेदनशील ढांचों को सुरक्षित तरीके से गिराने को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 723 प्रभावित परिवारों को 1.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह अंतरिम सहायता के रूप में प्रत्येक परिवार को दिया जाएगा। लेकिन जांच रिपोर्ट आने के बाद ही राज्य सरकार केंद्र को राहत पैकेज का प्रस्ताव भेजेगी। ऐसे में अभी जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि आदि शंकराचार्य की तपस्या स्थली बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब का एंट्री गेट कहे जाने वाले जोशीमठ की धरती लगातार धंस रही है। जोशीमठ जैसी स्थिति सिर्फ यहां ही नहीं बल्कि गढ़वाल में 20 से 30 गांव में भी है। यहां भी मकानों में दरारें आ चुकी हैं। यहां भूस्खलन और मकानों में दरार की मार कई परिवार झेल रहे हैं। वहीं उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश, लेह-लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के भी कुछ हिस्से हैं, जो भूकंप जोन में आते हैं।
उत्तरकाशी में दो गांव हैं मासतडी और भटवाड़ी। ये दोनों गांव खतरे के निशान पर हैं। जोशीमठ में हो रही घटनाओं के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण का खामियाजा इस गांव को भुगतना पड़ रहा है।
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