Jyotiba Phule Jayanti: 'महात्मा' ज्योतिबा फुले थे दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने वाले योद्धा, समाज सुधार के लिए किए कई काम

Jyotiba Phule Jayanti: महात्मा ज्योतिबा फुले थे दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने वाले योद्धा, समाज सुधार के लिए किए कई काम
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ज्योतिबा फुले (Jyotiba Phule) और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) ने भारत में महिला शिक्षा के लिए योगदान दिया। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था और उनकी जयंती हर साल ज्योतिबा फुले जयंती के रूप में मनाई जाती है।

Jyotiba Phule Jayanti: प्रख्यात समाज सुधारक ज्योतिबा फुले (Eminent social reformer Jyotiba Phule) की आज जयंती मनाई जा रही है। उन्हें 1888 में 'महात्मा' (Mahatma) की उपाधि से नवाजा गया था। जिन्होंने दलितों और निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए जिंदगी भर काम किया। इनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले (Jyotirao Govindrao Phule) था, जो एक भारतीय लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और महाराष्ट्र के जाति-विरोधी समाज सुधारक थे।

ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने मिलकर महिला शिक्षा के लिए काम

ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने भारत में महिला शिक्षा के लिए योगदान दिया। उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था और उनकी जयंती हर साल ज्योतिबा फुले जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस मौके पर देश के पीएम समेत समाज सुधार उनके योगदान को याद करते हैं। उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर शोषित जातियों के लोगों को समान अधिकार दिलाने के लिए 'सत्यशोधक समाज' की स्थापना की थी।

'महात्मा' की उपाधि

सभी धर्मों और जातियों के लोग इस संघ का हिस्सा बन सकते हैं। जिन्होंने दलित वर्गों के उत्थान के लिए काम किया। फुले को महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार आंदोलन का एक महत्वपूर्ण व्यक्ति मना जाता है। उन्हें 1888 में महाराष्ट्रीयन सामाजिक कार्यकर्ता विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर द्वारा सम्मानित 'महात्मा' की उपाधि से नवाजा गया था।

ज्योतिबा फुले ने समाज सुधार के लिए किए कई काम

कहते हैं कि 19वीं सदी के फुले एक बड़े समाज सुधारक और विचारक थे। जिन्होंने समाज में सुधार के लिए प्रचलित जाति आधारित विभाजन और लैंगिक भेदभाव की वकालत की। छुआछूत को खत्म करने और समाज के वंचित लोगों को मजबूत बनाने का काम किया। उनकी पत्नी और उन्होने 1854 में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक स्कूल खोला, जिसकी वजह से आज की महिलाएं इतनी सशक्त हैं। कह सकते हैं कि महिलाओं का सबसे पहला स्कूल यहीं से शुरू हुआ था।

आलोचकों ने रोका रास्ता

उन्होंने समाज सुधार के लिए जो काम किए, उच्च वर्ग के लोगों ने उनके काम में कई बाधाएं डालीं। लेकिन वह निरंतर प्रयास करते रहे और बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने समाज में खुलकर महिलाओं की शिक्षा को लेकर वकालत की और आगे बढ़ते चले गए। कह सकते हैं कि उनके बताए रास्तें पर आज भी चला जा रहा है। उनका बनाया हुआ समाज सुधार आंदोलन अब सामाजिक न्याय का आंदोलन बन गया है।

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