Kalyan Singh Biography: जानें कौन थे उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह

उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह (Former Uttar Pradesh CM Kalyan Singh) आखिरकार पंचतत्व में विलीन हो गए। उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाजपा के लिए एक नए युग का आरंभ और एक ताकतवर राजनेता कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मधौली गांव में हुआ था। उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार के दौरान ही बाबरी मस्जिद के विध्वंस जैसा बड़ा कांड हुआ। जिसे आज भी याद किया जाता है। सबसे पहले उनके जीवन परिचय की बात करते हैं...
कल्याण सिंह का जीवन परिचय (Biography of Kalyan Singh)
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ में हुआ। पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी और माता का नाम सीता देवी था। उनकी पत्नी का नाम रामवती है। कल्याण सिंह के दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। उनके बेटे राजवीर सिंह राजू भैया भारतीय जनता पार्टी के एटा से सांसद हैं। कहते हैं कि अपने राजनीतिक करियर के दौरान लोकप्रियता हासिल करने वाले कल्याण सिंह की शादी साल 1952 में रामवती देवी से हुई थी। यानी उस वक्त कल्याण सिंह की उम्र महज 20 साल थी। छोटी उम्र में ही वह गृहस्थी के जीवन में शामिल हो गए थे।
कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर (Political Journey of Kalyan Singh)
कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के सीएम रह चुके थे। अभी हाल ही में वह राजस्थान के राज्यपाल और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का प्रभार भी संभाले हुए थे। लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस उनकी सरकार का सबसे विवादित कांड रहा। कल्याण सिंह जून 1991 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उसी के बाद बाबरी मस्जिद के विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद 1997 से 1999 के बीच दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद राज्यपाल के तौर पर काम किया। राजस्थान और हिमाचल की कमान संभाली।
भाजपा में कल्याण सिंह की भूमिका (Role of Kalyan Singh in BJP)
कहते हैं कि ये कल्याण सिंह की राजनीति ही थी, जिसका चेहरा आज भाजपा की राजनीति में दिखाई दे रहा है। 2013 में जब अमित शाह यूपी के प्रभारी बने, तो संगठन से लेकर राजनीति की रणनीति तक कल्याण युग का सूत्र दिखने लगा। पार्टी ने देशभर में ओबीसी और हिंदुत्व की रणनीति को फिर से मजबूत किया। संगठन की संरचना भी बदल गई। संगठन में पिछड़ों की भागीदारी बढ़ी। ओबीसी, दलित और महिलाओं को तवज्जों दी गई। तभी तो उनके अस्पताल में भर्ती होते ही बड़े से बड़ा राजनेता भी उनकी सेहत का हाल जानने के लिए पहुंचे।
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