कपिल सिब्बल का केंद्र पर निशान, बोले सभी ऐलान हवा हो रहे, असत्य से शुरुआत करेंगे तो अंत भी असत्य होगा

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की और केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। कपिल सिब्बल ने कहा कि देश का धन उद्योगों से नहीं जुड़ा हुआ, निर्यात से, उत्पादन, टैक्स से नहीं जुड़ा हुआ, बल्कि उन चीजों से जुड़ा हुआ है, जिसके द्वारा बौद्धिक संपदा से जुड़ा हुआ है। बौद्धिक संपदा फैक्टरियों में नहीं, विश्वविद्यालय में पैदा होती है।
कपिल सिब्ब्ल ने कहा कि अगर देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो अपने विश्वविद्यालयों में अनुसंधान और विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) में पैसा लगाना होगा। जब तक आप विश्वविद्यायल सिस्टम में पैसा नहीं लगाते तब तक एक देश कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। नारे के साथ आत्मनिर्भरता पैदा नहीं होती है।
सभी ऐलान हवा हो रहे
जो ऐलान हो रहे हैं सब हवा में हो रहे हैं। 20 लाख करोड़ के पैकेज में कहते हैं कि केंद्र सरकार का योगदान देश के जीडीपी का 10 प्रतिशत है। सारे विश्व और देश के अर्थशास्त्री कहते हैं कि ये जीडीपी 1 प्रतिशत से अधिक नहीं है। अगर आप असत्य से शुरुआत करेंगे तो अंत भी असत्य होगा।
भारत की विनिर्माण क्षमता जीडीपी के 16-18 प्रतिशत
कपिल सिब्बल ने बताया कि 2019 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदुस्तान की रैंक 68 है। ऐसे में आत्मनिर्भरता आएगी कहां से और प्रधानमंत्री भी ये बात जानते हैं, मगर कभी-कभी भूल जाते हैं। भारत की विनिर्माण क्षमता जीडीपी के 16-18 प्रतिशत है और सर्विस सेक्टर लगभग 59 प्रतिशत है।
देश में रिसर्च और डवलपमेंट पर जीडीपी का मात्र 0.7 प्रतिशत हिस्सा खर्चा हो रहा है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार कई देश हमसे बहुत आगे हैं। तो आत्मनिर्भरता एक और जुमला है।
स्लोगन के साथ आत्मनिर्भरता पैदा नहीं होगी
प्रधानमंत्री द्वारा सिर्फ आत्मनिर्भर बनने का ऐलान कर देने से पूंजी का निर्माण नहीं होगा। देश को बताइए कि बिना आर्थिक नीति, औधोगिक नीति, विनिर्माण नीति के कैसे आत्मनिर्भर होंगे? सिर्फ स्लोगन के साथ आत्मनिर्भरता पैदा नहीं होगी।
थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, ताइवान, चीन, कोरिया में जीडीपी में निर्माण का योगदान 30-50 प्रतिशत है, जबकि हमारे यहां 16-18 प्रतिशत है। अब ऐसी स्थिति में कैसा मेक इन इंडिया?
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