कर्नाटक: चुनाव में हार के बाद गठबंधन पर आए संकट से जूझ रहे कांग्रेस-JDS के नेता

लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद कर्नाटक में सत्ताधारी कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन संकट से गुजर रहा है। दोनों पार्टियों ने राज्य की एच डी कुमारस्वामी सरकार की स्थिरता पर आए संकट को दूर करने के लिए बुधवार को गहन विचार-विमर्श किया। कांग्रेस आलाकमान की तरफ से भेजे गए पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं एवं मंत्रियों के साथ बैठक की, ताकि भाजपा के तेज होते जा रहे हमलों से गठबंधन सरकार को बचाया जा सके।
कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर भाजपा की जीत के बाद कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की चिंताएं बढ़ गई हैं। राज्य में कांग्रेस और जद (एस) को मात्र एक-एक सीट पर जीत मिली। गठबंधन में दरार की खबरों के बीच लोकसभा चुनावों में शानदार जीत से उत्साहित भाजपा कथित तौर पर राज्य की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रही है। पिछले साल 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए हुए चुनावों में 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने के प्रयास में है।
भाजपा ने बाद में एक सीट पर हुए उप-चुनाव में जीत हासिल कर विधानसभा में अपनी संख्या 105 कर ली। कांग्रेस ने भी कुंडगोल विधानसभा उप-चुनाव जीता था। सत्ताधारी गठबंधन में कुल 117 विधायक हैं, इनमें 78 कांग्रेस और 37 जद (एस) के हैं। इसे बसपा के एक और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कुमारस्वामी, कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं समन्वय समिति के प्रमुख सिद्दरमैया, उप-मुख्यमंत्री जी परमेश्वर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव के साथ की गई बैठक में वेणुगोपाल ने कैबिनेट विस्तार या फेरबदल के मुद्दे पर चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि मंगलवार रात को यहां पहुंचे वेणुगोपाल ने गठबंधन सरकार के कई कांग्रेस मंत्रियों से भी मुलाकात की और शाम में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक के दौरान नेताओं ने चुनावों में मिली हार और भाजपा से गठबंधन सरकार को खतरे पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में नेताओं के बीच इस पर कोई आम राय नहीं बन पाई कि तीन खाली पदों को भर कर कैबिनेट विस्तार किया जाए या कुछ मंत्रियों को इस्तीफा दिलवाकर एवं कुछ असंतुष्ट विधायकों को मंत्री बनाकर कैबिनेट में फेरबदल किया जाए।
सिद्दरमैया सहित पार्टी के कुछ नेता कैबिनेट विस्तार के पक्ष में बताए जाते हैं, क्योंकि फेरबदल की कोशिश से स्थिति बिगड़ सकती है। मुख्यमंत्री ने शुरुआत में फेरबदल के सुझाव दिए थे। सूत्रों ने बताया कि कई वरिष्ठ मंत्री अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से कैबिनेट फेरबदल में काफी मुश्किल आएगी। विधायकों और कांग्रेस आलाकमान के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद शीर्ष नेता इस बाबत कोई फैसला कर सकते हैं। कर्नाटक में मंत्री के कुल 34 पदों में से कांग्रेस के पास 22 और जद (एस) के पास 12 हैं। अभी तीन पद खाली हैं। इनमें दो जद (एस) कोटे का और एक कांग्रेस कोटे का मंत्री पद है।
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