Kargil Vijay Diwas : कारगिल युद्ध के 10 योद्धाओं की कहानी

Kargil War Heroes Stories (कारगिल युद्ध के जाबांजो की कहानी) : साल था 1999, पाकिस्तान (Pakistan) अपनी नापाक मंसूबो के तहत कारगिल (Kargil) की पहाड़ियों पर स्थित भारतीय पोस्ट पर कब्जा कर लिया था। सेना को पाकिस्तान (Pakistani Army) के नापाक हरकतों का पता एक कश्मीरी चरवाहे ने दिया था। जिस पर भारतीय फौज ने उन्हें ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) के तहत कारगिल (Kargil) से खदेड़ा था। भारतीय सेना (Indian Army) द्वारा यह ऑपरेशन (Operation Vijay) 8 मई, 1999 से शुरू होकर 26 जुलाई 1999 तक चला था। इस युद्ध (Kargil War 1999) में भारत के 527 वीर जवान शहीद हुए थे वहीं 1363 जवान इस अभियान में घायल हुए थे। पाकिस्तान (Pakistani Army Killed In Kargil War) की तरफ से भी हजारों की संख्या में सैनिकों की मौत हो गई थी।
कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के 20वीं वर्षगांठ (20 Years of Kargil War) पर आईए जानते हैं वॉर हीरोज (Kargil War Heroes) के बारे में जिनके अदम्य साहस के दम पर भारत ने फिर से कारगिल (Kargil) पर अपना कब्जा जमाया था और इसके साथ ही पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistani Army) को खदेड़ा था।
1. कैप्टन अनुज नैय्यर (Captain Anuj Nayyar)
कैप्टन अनुज नैय्यर भारतीय सेना के जाट रेजिमेंट के 17वीं बटालियन के आर्मी ऑफिसर थे। जिन्होंने कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान 7 जुलाई 1999 को टाइगर हिल (Tiger Hill) में युद्ध करते हुए अपनी जान की आहुति दे दी थी। टाइगर हील पर अदम्य साहस के साथ दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद कैप्टन अनुज नैय्यर को मरणोपरांत उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र (Mahavir Chakra) से सम्मानित किया गया।
2. कैप्टन एन केंगुरस (Captain N Kenguruse)
कैप्टन एन केंगुरस राजपुताना राइफल्स (Rajputana Rifles) के सेकेंड बटालियन के एक तेज तर्रार सेना अधिकारी थे। वे 28 जून, 1999 को कारगिल युद्ध में लोन हिल, द्रास सेक्टर के पास दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। युद्ध के मैदान में बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
3. लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोनग्रम (Lieutenant Keishing Clifford Nongrum)
जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के 12 वीं बटालियन के लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोनग्रम (Lieutenant Keishing Clifford Nongrum) ने 1 जुलाई, 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान प्वाइंट 4812 पर कब्जा करते हुए शहादत प्राप्त की। युद्ध अभियानों में उनकी शिष्टता के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
4. मेजर पद्मपाणि आचार्य (Major Padmapani Acharya)
कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान भारतीय सेना के मेजर पद्मपाणि आचार्य, जो कि राजपुताना राइफल्स के द्वितीय बटालियन के अधिकारी थे। 28 जून, 1999 को लोन हिल में दुश्मनों के साथ लड़ते हुए शहीद हो गए। भारतीय सेना के अनुसार चोट लगने के बावजूद बहादुरी के साथ दुश्मनों पर अंधाधुन गोलियां बरसाते रहे, उनकी वीरता के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
5. मेजर राजेश सिंह अधकारी (Major Rajesh Singh Adhikari)
मेजर राजेश सिंह अधकारी भारतीय सेना के अधिकारी थे, जो 30 मई, 1999 को कारगिल युद्ध (Kargil Yuddha) के दौरान टोलोलिंग की लड़ाई में दुश्मनों के सात लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उन्हें युद्ध में बहादुरी के लिए गैलेंट्री सम्मान व महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
6. कर्नल सोनम वांगचुक (Colonel Sonam Wangchuk)
कर्नल सोनम वांगचुक भारतीय सेना अधिकारी हैं जो लद्दाख स्काउट्स रेजिमेंट में कार्यरत हैं। साल 1999 के कारगिल युद्ध में तत्कालीन मेजर वांगचुक ने चोरबत ला टॉप पर पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ ऑपरेशन का नेतृत्व किया, युद्ध खत्म करने के बाद ही वहां से हिले, जिसके लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
7. मेजर विवेक गुप्ता (Major Vivek Gupta)
राजपुताना राइफल्स की दूसरी बटालियन के मेजर रहे विवेक गुप्ता कारगिल संघर्ष में 12 जून, 1999 को द्रास सेक्टर में दो महत्वपूर्ण पोस्ट पर कब्जा करने के बाद शहीद हो गए। युद्ध के मोर्चे पर उनकी वीरता के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
8. कैप्टन मनोज कुमार पांडे (Captain Manoj Kumar Pandey)
गोरखा राइफल्स की पहली बटालियन में तैनात कैप्टन मनोज कुमार पांडे ने 'ऑपरेशन विजय' के दौरान साहसिक नेतृत्व में कई हमलों में हिस्सा लिया और 11 जून, 1999 को बटालिक सेक्टर से पाकिस्तानी घुसपैठियों को वापस खदेड़ने के लिए मजबूर किया। उनके नेतृत्व में 3 जुलाई, 1999 के अहले सुबह जौबर टॉप और खलुबर पर कब्जा कर लिया गया। शहीद पांडेय को युद्ध के दौरान काफी चोट आई थी जिसके कारण वे दम तोड़ दिए। उनकी अदम्य साहस के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
9. नायक दिगेंद्र कुमार (Naik Digendra Kumar)
नायक दिगेंद्र कुमार सेना से रिटायर होने वाले थे, फिर भी उन्होंने लड़ाई में हिस्सा लिया। पाकिस्तानी सेना से लड़ते हुए उन्हें 5 गोलियां लगी थीं। इस दौरान वे 48 से अधिक पाकिस्तानी फौजियों व घुसपैठियों को मार गिराए थे। तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेई ने उनकी खूब सराहना की थी। कहा जाता है कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना के अधिकारी अनवर की गर्दन कलम कर दी थी। उन्हें 15 अगस्त 1999 को युद्ध के मैदान में उनकी वीरता के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
10. राइफलमैन संजय कुमार (Rifel Man Sanjay Kumar)
राइफलमैन संजय कुमार 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स टीम का नेतृत्व कर रहे थे, उन्हें फ्लैट टॉप पर कब्जा करने के लिए आदेश दिया गया था, इस दौरान वे अपनी छोटी सी टुकड़ी लेकर वहां पहुंचे और रण में कूद पड़े। उन्हें छाती पर पाकिस्तानी सेना के जवानों ने गोली मारी थी, लेकिन बहुत ज्यादा खून बहने के बावजूद उन्होने हार नहीं मानी और हमले को जारी रखा। संजय कुमार के साथ पलटन ने दुश्मनों के बंकरों पर हमला किया और फ्लैट टॉप पर कब्जा कर लिया। राइफलमैन कुमार को इस साहस के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। वे वापस जिंदा लौट कर आए थे।
11. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव (Grenadier Yogendra Singh Yadav)
घातक प्लातून की टुकड़ी को टाइगर हील पर कब्जा जमाए पाकिस्तानी सैनिकों व उनके कई बंकरों को नेस्तनाबूत करने का आदेश मिला था। इस टीम का लीडरशीप शहीद ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव के हाथों में थी, वे चोटी पर टीम को चढ़ने के लिए रस्सी बांधने व रास्ता बनाने का कार्य करते थे। कारगिल युद्ध के दौरान 4 जुलाई 1999 की कार्रवाई के लिए उन्हें वीरता का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया।
12. कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra)
13वीं जम्मू-कश्मीर राइफल्स के कैप्टन विक्रम बत्रा को टोलोलिंग रिज पर सबसे ऊंचे प्वाइंट को फिर से कब्जा करने का आदेश दिया गया था जो कि प्वाइंट 5140 था, जहां पाकिस्तानी सेना बंकरों में छिपी हुई थी। घायल सैनिक को बचाते हुए 26 जुलाई, 1999 को वे शहीद हो गए। प्वाइंट 4875 पर जहां वे शहीद हुए उसे अब 'बत्रा टॉप' कहा जाता है। उन्हें सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
नोट-सभी फोटोज इंटरनेट के जरिए से लिया गया है, वहीं जानकारी भारतीय सेना की वेबसाइट से ली गई है।
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