कर्नाटक जीतने के बाद भी कांग्रेस की राह मुश्किल, सता रहा ये डर

कर्नाटक जीतने के बाद भी कांग्रेस की राह मुश्किल, सता रहा ये डर
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कर्नाटक विधानसभा चुनावों 2023 (Karnataka Assembly Elections 2023) में कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस बेंगलुरु के एक पांच सितारा होटल में कई कमरे बुक कर चुकी है। उसने जीते हुए नेताओं को रात को ही होटल पहुंचने को कहा है।

कर्नाटक में 1985 के बाद यानी बीते 38 साल से कोई दल लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाया। 10 मई को कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों (Karnataka Assembly Election) पर 72.82 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। भारतीय जनता पार्टी (BJP) व कांग्रेस पार्टी के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली थी। हालांकि, इस बार दोबारा कांग्रेस पार्टी (Congress) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन आगे की राह मुश्किल भरी साबित होगी। कांग्रेस को एक ओर जहां विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ेगा, वहीं अपने विधायकों को एकजुट रखने की भी बड़ी चुनौती रहेगी। खास बात है कि कांग्रेस ने अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।

विधायक आज होटल में ठहरेंगे

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो चुकी है। आज रात तक सभी विधायकों को बेंगलुरु बुलाकर उनको शंगरीला होटल या किसी और रिसोर्ट में भेजे जाने की संभावना है, ताकि विधायकों को कोई अन्य दल तोड़ ना सके। साथ ही, पार्टी की तरफ से दिल्ली से दो पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। यह पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक में विधायकों से बातचीत करेंगे और उनकी राय जानने का प्रयास करेंगे। यहीं पर रविवार को कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक भी होगी।

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2018 में कौन बना था कर्नाटक किंग

साल 2018 के चुनावी परिणामों की बात करें तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) 80 सीटों के साथ दूसरे पायदान पर थी। वहीं, जेडीएस (JDS) को कर्नाटक के लोगों ने 37 सीटें प्रदान की थीं। दोनों पार्टियों ने मिलकर कर्नाटक में एक साथ मिलकर गठबंधन की सरकार का निर्माण किया था। भारतीय जनता पार्टी (BJP) जो 104 सीटों के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी थी, उसको विपक्ष में बैठना पड़ा था। इसी के साथ ही, 14 महीने के बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया और भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद भाजपा ने राज्य में सरकार का गठन किया था और बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

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