कर्नाटक कांग्रेस से 'परमेश्वर' नाराज, दलित समाज की अनदेखी पर भड़के

कर्नाटक कांग्रेस से परमेश्वर नाराज, दलित समाज की अनदेखी पर भड़के
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Karnataka Congress: कर्नाटक (Karnataka) में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण से पहले कांग्रेस (Congress) में फुट पड़ना शुरू हो गया है। इस बीच कर्नाटक कांग्रेस के दिग्गज नेता जी परमेश्वर (G Parameshwara) ने पार्टी के फैसले पर नाराजगी जताई है।

Karnataka Congress: कर्नाटक (Karnataka) में मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण से पहले कांग्रेस (Congress) में फुट पड़ना शुरू हो गया है। सीएम पद को लेकर सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) के बीच घमासान खत्म होते ही, पार्टी के अन्य नेताओं में नाराजगी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने पार्टी में बगावत को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। इस बीच कर्नाटक कांग्रेस के दिग्गज नेता जी परमेश्वर (G Parameshwara) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पार्टी के फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में दलित मुख्यमंत्री की मांग थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह कर्नाटक की सत्ता को बेहतर संभाल सकते थे। परमेश्वर के बयान में बगावत होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में दलिस मुख्यमंत्री की मांग थी।

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बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद से मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच जमकर खींचतान हुई। कांग्रेस आलाकमान दोनों नेताओं को तो मनाने में सफल रहा और सिद्धारमैया को कर्नाटक का सीएम बनाने का फैसला किया है। वहीं, डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद के लिए राजी कर लिया, लेकिन आलाकमान के फैसले पर पार्टी के एक और बड़े नेता ने सवाल उठाए हैं।

कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि सिद्धारमैया के सीएम और शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाने के फैसले से दलित समुदाय आहत हुआ है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि कर्नाटक में दलित सीएम की मांग अधिक थी, लेकिन पार्टी के फैसले से दलिस समुदाय आहत हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं भी सरकार चला सकता था। परमेश्वर ने कहा कि सीएम नहीं तो कम से कम मुझे उपमुख्यमंत्री तो बनाना चाहिए था।

गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल की है। कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 135 सीट पर अपना कब्जा किया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ 66 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। कर्नाटक में किसी पार्टी ने 34 साल बाद इस बड़ी जीत दर्ज की है।

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