LCA तेजस की पहली सफल अरेस्टेड लैंडिंग, राजनाथ सिंह ने नौसेना और DRDO को दी बधाई

नौसेना के लिए बनाए गए स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस ने शुक्रवार को गोवा के आईएनएस हंसा नौसैन्य अड्डे पर बनाई गई शोर बेस्ड टेस्ट सुविधा से पहली सफल 'अरेस्टेड लैंडिंग' की है। इसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना और डीआरडीओ की पूरी टीम को बधाई दी है।
यहां राजधानी में डीआरडीओ के कुछ अधिकारियों ने पत्रकारों को बताया कि इसके लिए विमान ने सुबह 11 बजकर 5 मिनट पर उड़ान भरी और उसके करीब 40 मिनट बाद 11 बजकर 40 मिनट पर अरेस्टेड लैंडिंग के साथ सफलतापूर्वक वापसी की। इसमें जमीन पर 90 मीटर की दूरी पर आकर विमान रुका।
उन्होंने बताया कि नौसेना ने अरेस्टेड लैंडिंग के लिए अपनी इस अभ्यास सुविधा को एक विमानवाहक युद्धपोत के फ्लाइंग डेक की तरह से ही तैयार किया है, जिससे विमान वास्तविक रूप में विमानवाहक युद्धपोत पर तैनाती से पहले यहां से उड़ान भरने और लैंड करने का अभ्यास करते हैं। अरेस्टेड लैडिंग में लड़ाकू विमान पायलट नीचे उतरते वक्त ग्राउंड पर मौजूद रबड़ की एक रस्सी के शुरुआत में बने हुए गोलाकार निशान में अपने निचले हिस्से में बने हुए हुक को फंसाकर विमान को रोककर पूरा करता है। एलसीए तेजस ने भी यही किया है।
उन्होंने बताया कि भविष्य में नौसेना और डीआरडीओ द्वारा इस परीक्षण के बाद जो डेटा मिला है। उसकी व्यापक जांच-पड़ताल की जाएगी और फिर भावी टेस्ट की रूपरेखा तैयार की जाएगी। फिलहाल इसके लिए अभी कोई निधार्रित समयसीमा तय नहीं की गई है। लेकिन विमान के अंतिम टेस्ट आईएसी विमानवाहक युद्धपोत के फ्लाइंग डेक पर होंगे।
जिसके बाद ही इसे पूरी तरह से ऑपरेशनल कहा जाएगा। इस परीक्षण तक पहुंचने से पहले भी इस विमान को कई टेस्ट से गुजरना पड़ा है। वर्तमान में दुनिया के कई विकसित देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन में भी विमानवाहक युद्धपोत पर लड़ाकू विमान अरेस्टेड लैंडिंग के जरिए ही नीचे उतरते हैं।
तीन सदस्यीय टीम का कमाल
अधिकारियों ने कहा कि इसके लिए नौसेना ने तीन अधिकारियों की एक टीम बनाई थी। जिसमें एलसीए तेजस में उड़ान भरने वाले चीफ टेस्ट पायलट कोमोडोर जे.ए.मावलंकर, ग्राउंड पर मौजूद टेस्ट पायलट कैप्टन शिवनाथ दहिया और फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर कमांडर जे़ डे़ रतुड़ी शामिल थे। एलसीए तेजस दो सीटों पर वाला लड़ाकू विमान है। लेकिन यह उड़ान केवल एक पायलट कोमोडोर मावलंकर द्वारा ही भरी गई थी। गौरतलब है कि गोवा में मौजूद इस टेस्ट सुविधा ने वर्ष 2014 से काम करना शुरु कर दिया था।
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