Ayodhya Land Dispute : सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई जारी, कोर्ट ने मांगे मंदिर होने के सबूत

दशकों से चले आ रहे राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज (मंगलवार) से नियमित सुनवाई शुरू हो गई है।। कोर्ट ने तय किया है कि हफ्ते में तीन दिन ( मंगलवार, बुधवार और गुरूवार) इस मामले की सुनवाई की जाएगी। उम्मीद जताई जा रही कि नवंबर तक इस मामले का हल निकल आएगा।
Live Update :-
निर्मोही अखाड़ा के वकील ने भूमि विवाद के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के नतीजों का हवाला दिया।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने निर्मोही अखाड़ा के वकील से कहा कि आपको हाईकोर्ट ने प्रारंभिक फैसले में विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा दिया गया है।
चीफ जस्टिस ने निर्मोही अखाड़ा के वकील से कहा कि ट्रायल कोर्ट में जज ने कहा है कि मस्जिद से पहले किसी तरह के ढांचे का कोई सबूत नहीं है। इसके जवाब में वकील ने कहा कि अगर उन्होंने इसे ढहा दिया तो इसका ये कतई मतलब नहीं कि वहां पर कोई निर्माण नहीं था। इसपर कोर्ट ने कहा कि आपको इसपर हमें सबूत दिखाना होगा।
निर्मोही अखाड़े के वकील ने अपनी बातों को जारी रखते हुए कहा कि मुस्लिम कानून के तहत कोई भी व्यक्ति जमीन पर कब्जे की वैध अनुमति के बिना दूसरे के जमीन पर मस्जिद का निर्माण नहीं खड़ा कर सकता। अगर ऐसे में मस्जिद खड़ा करता है तो वह मस्जिद गैर इस्लामिक है। और वहां अदा की गई नमाज कबूल नहीं होती है।
निर्मोही अखाड़े की तरफ से इस मामले से जुड़े इतिहास और बाबर शासन काल का जिक्र किया जा रहा है। इस दौरान राजीव धवन ने कोर्ट को टोका तो चीफ जस्टिस ने कहा कि आपको समय दिया जाएगा इसलिए बीच में न बोले, कोर्ट की गरिमा का पूरा खयाल रखें।
Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case in SC: Nirmohi Akhara's advocate says, "The Muslim sides have admitted that last prayer was offered at the mosque on Dec 16, 1959. Till 1934, they were offering regular prayer and after that, even Friday prayers were not offered."
— ANI (@ANI) August 6, 2019
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने दोनों पक्षों से कहा कि पहले हमारे सामने वहां के स्ट्रक्चर पर स्थिति साफ करें। वहां इंट्री कहां से होती है, हनुमान मंदिर से या फिर सीता रसोई से?
इसके बाद चीफ जस्टिस ने पूछा कि निर्मोही अखाड़ा कैसे पंजीकृत हुआ। जस्टिस नजीर ने निर्मोही अखाड़ा का पक्ष रख रहे वकील से कहा कि आप अपना पक्ष पहले रख रहे हैं। तो पूरी बात बताएं।
बहस शुरू होते ही चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले स्टेटस और लोकल दलीलें रखी जाएं, इसके बाद सुशील जैन ने अपनी बात रखनी शुरू की। निर्मोही अखाड़े ने बताया कि 1961 में वक्फ बोर्ड ने इसपर दावा ठोका, लेकिन हम वहां वर्षों के पूजा करते आ रहे हैं।
राम मंदिर मामले को लेकर लाइव प्रसारण की मांग को सिरे से खारिज कर दिया गया है।
Supreme Court declines the request of KN Govindacharya for audio/video recording and transmission or live streaming of the case, as it is not currently feasible. https://t.co/MDcRiXrqqh
— ANI (@ANI) August 6, 2019
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है। निर्मोही अखाड़े की तरफ से सुशील कुमार जैन ने अपनी बात पांच सदस्यीय न्यायधीशों के सामने रखना शुरू किया। उन्होंने अपनी बात में रामलला की सेवा पूजा और मंदिर प्रबंधन के अधिकार छीन लिए जाने की अपनी बात बताई।
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की नियमित सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्याक्षता वाली पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ करेगी। रंजन गोगोई के अलावा इसमें एस. अब्दुल नजीर, अशोक भूषण, डीवाई चंद्रचूड़ और एसए बोबडे शामिल है।
बीते शुक्रवार को मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट पेश की गई थी। जिसमें किसी तरह का कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। जिसके बाद कोर्ट ने नियमित सुनवाई का फैसला लिया है। अब दोनों पक्षों को बहस पूरी होने तक सुना जाएगा।
बताते चले कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में आज से 9 साल पहले 2010 में फैसला सुनाया था। फैसले में राम जन्मभूमि को तीन हिस्सों में बांटे जाने का आदेश दिया गया। एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का फैसला किया गया। इस फैसले से असंतुष्ट सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी।
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