जानें कौन हैं भाजपा में शामिल हुईं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, हिंदू आतंकवाद का लगा आरोप, दिग्विजय को देंगी टक्कर

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के भाजपा में शामिल होते ही मध्य प्रदेश की हॉट सीट भोपाल की राजनीति फिर से गरमा गई है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक साध्वी का भोपाल से चुनाव लड़ना तय है। इसका ऐलान पार्टी बुधवार शाम तक कर सकती है।
साध्वी प्रज्ञा हिन्दुत्व का चेहरा मानी जाती हैं इसलिए पार्टी उन्हें भोपाल से टिकट देने के बारे में सोच सकती है। अगर साध्वी को यहां से टिकट मिला तो ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है।
2008 में मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा को पिछले साल ही एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी किया था। आईए जानते हैं साध्वी प्रज्ञा के बारे में...
कौन हैं साध्वी प्रज्ञा?
प्रज्ञा ठाकुर मध्य प्रदेश के चंबल इलाके के भिंड जिले में जन्मीं थीं। वे राजावत राजपूत जाति से आती हैं। उनके पिता आरएसएस के स्वयंसेवक व पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर थे।
इतिहास में परास्नातक करने के बाद प्रज्ञा हमेशा से ही हिन्दुत्ववादी संगठनों से जुड़ी रहीं। वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की सक्रिय कार्यकर्ता थीं और वे विश्व हिन्दू परिषद की महिला विंग दुर्गा वाहिनी से भी जुड़ी थीं।
वे अपने आपत्तिजनक व भड़काऊ बयानों के चलते काफी चर्चा में रहती हैं। सन् 2002 में उन्होंने 'जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति' नाम की एक संस्था बनाई। इस दौरान वे स्वामी अवधेशानंद गिरि के संपर्क में आईं। अवधेशानंद का राजनीतिक गलियारों में काफी पकड़ थी। इसके बाद वे राष्ट्रीय जागरण मंच से जुड़ीं और उन्हें मध्य प्रदेश और गुजरात का कार्यभार मिला।
साध्वी अपने भाषण से दक्षिणपंथी समर्थकों को काफी प्रभावित किया। शुरु में साध्वी ने भोपाल, देवास, इंदौर व जबलपुर तक ही भाषण देने जाया करती थीं। कई संगठनों से जुड़ने के बाद उन्होंने ABVP छोड़ दिया और वे साध्वी बन गईं।
साध्वी गांव-गांव जाकर हिन्दुत्व का प्रचार करने लगीं। गुजरात के सूरत में उन्होंने अपना आश्रम बनवाया। हिन्दुत्व के प्रचार के कारण वह भाजपा के नेताओं को प्रभावित करने लगी और राजनीति में उनका वर्चस्व बढ़ता गया।
लव जिहाद के खिलाफ आवाज
आरएसएस ने जब लव जिहाद के खिलाफ अभियान छेड़ा था उस दौरान साध्वी प्रज्ञा ने काफी अहम योगदान दिया था। साध्वी के पिता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि प्रज्ञा की संस्था ने कई ऐसी लड़कियों को बचाया था जिन्हें समुदाय विशेष के लड़के फुसलाकर भगा ले गए थे और प्रताड़ित कर रहे थे।
भोपाल से पुराना नाता
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में बम ब्लास्ट हुआ था। ब्लास्ट करने के लिए मोटर साईकिल में बम लगाया गया था। ब्लास्ट में 8 लोग मारे गए थे और 80 से अधिक लोग घायल हुए थे। शुरु में घटना की जांच महाराष्ट्र पुलिस की एटीएस ने की थी। बाद में मामला जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया।
एनआईए ने अपनी जांच में यह पाया कि घटना की साजिश अप्रैल 2008 में भोपाल में रची गई थी। प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी भी एटीएस ने की थी। गिरफ्तारी का आधार ब्लास्ट में उपयोग की गई मोटर साईकिल थी। यह मोटर साईकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम के नाम पर था। प्रज्ञा ठाकुर लगभग 11 साल तक जेल में थीं।
साध्वी प्रज्ञा 2007 के आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में भी आरोपी थीं, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।
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