लोकसभा में पास हुआ जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक बिल, जानें इसके बारे में

लोकसभा में आज संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पेश किया। जिसे सदन से पास कर दिया गया है। अब इस बिल को राज्यसभा के लिए भेजा जाएगा। अभी तक सरकार ज्यादातर बिलों को राज्यसभा में पास करवाने में कामयाब रही है।
इस बिल का मकसद
इस बिल का सदन में कांग्रेस जमकर विरोध किया। इस बिल को लाने का मकसद मेमोरियल को राजनीतिकरण से समाप्त कर राष्ट्रीयकरण करना है। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड में अपनी जान गंवाने वाले या घायल होने वालों के लिए 1951 के अधिनियम में राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण और प्रबंधन के अलावा संशोधन के लिए कानून बनाया गया था। उस वक्त न्यासियों में पार्टी के नेता को ट्रस्टि बनाया गया था।
कांग्रेस इस वजह से कर रही बिल का विरोध
ऐसे में इस बिल में कांग्रेस के अध्यक्ष को इसका ट्रस्टी बनाया गया था। अगर सरकार इस बिल में संशोधन करती है तो ऐसे में इसका राष्ट्रीयकरण किया जाएगा। इसके अलावा, यह राष्ट्रीय स्मारक के प्रबंधन के लिए एक ट्रस्ट बनाता है और नियमों को लागू करता है। ट्रस्ट को चलाने के लिए न्यासियों को नामित करता है।
सरकार का ये बिल खत्म कर देगा कांग्रेस को
इस बिल के पास होने के बाद ट्रस्टी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष को हटाने के लिए और लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में ट्रस्टी के रूप में काम करना चाहते हैं। ऐसे सरकार इसको अपने हाथ में लेना चाहती है। ये कानून केंद्र सरकार को अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले किसी एक नामित ट्रस्टी को समाप्त करने का अधिकार देता है।
बता दें कि 1952 के अधिनियम ने जवाहरलाल नेहरू, डॉ सैफुद्दीन किचलू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, पंजाब राज्य के राज्यपाल, पंजाब राज्य के मुख्यमंत्री, और इसके अलावा स्मारक के ट्रस्टियों में से एक के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष का नाम रखा गया।
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