ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उप चुनावों के लिए शुरू की तैयारी, लोगों से कर रहे इस तरह संपर्क

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उप चुनावों के लिए शुरू की तैयारी, लोगों से कर रहे इस तरह संपर्क
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प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों के उप चुनाव के लिए कार्यक्रम जारी नहीं हुआ। कोरोना के चलते उप चुनाव कब होंगे, यह भी कोई नहीं बता जा सकता। बावजूद इसके सभी अपने-अपने ढंग से उप चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। कांग्रेस अपनी रणनीति बनाकर काम कर रही है और भाजपा अपनी। इस बीच वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी उप चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।

प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों के उप चुनाव के लिए कार्यक्रम जारी नहीं हुआ। कोरोना के चलते उप चुनाव कब होंगे, यह भी कोई नहीं बता जा सकता। बावजूद इसके सभी अपने-अपने ढंग से उप चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। कांग्रेस अपनी रणनीति बनाकर काम कर रही है और भाजपा अपनी। इस बीच वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी उप चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने अपनी शैली में ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क का अभियान प्रारंभ कर रखा है।

तेईस सीटों पर सिंधिया की मुख्य भूमिका

ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 विधायकों को साथ लेकर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। दो सीटें विधायकों के अचानक निधन के कारण पहले से रिक्त हैं। इनमें से जौरा विधानसभा सीट भी सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र की है। यहां से जीते कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का अचानक निधन हो गया था। सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद स्वर्गीय श्री शर्मा का परिवार भी सिंधिया के साथ भाजपा में आ गया है। इसलिए इस सीट की जवाबदारी भी सिंधिया के कंधों पर है। इस तरह 23 सीटों के उप चुनाव में सिंधिया की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है।

अपनों से फोन पर बात कर रहे सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस समय दोतरफा अभियान चला रखा है। एक तरफ वे मीडिया एवं अन्य वर्ग के प्रमुख लोगों से बात कर कोरोना को लेकर कुशल क्षेम पूछ रहे हैं और सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। उनकी यह आत्मीय बात लोगों को पसंद आ रही है। दूसरी तरफ वे उप चुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों के लोगों से हर रोज बात कर रहे हैं। सही संख्या बता पाने की स्थिति में तो कोई नहीं है लेकिन वे सैकड़ों लोगों से बात कर पहले कोरोना को लेकर सचेत करते हैं और फिर उप चुनाव में ईमानदारी से काम करने की अपेक्षा करते हैं। सिंधिया की अपनों से बात करने की यह पुरानी शैली है। कोरोना न होता तो वे घर जाकर मिलने में ज्यादा भरोसा रखते हैं।

ज्यादा सीटें जीतकर दिखाना होगी ताकत

ज्योतिरादित्य कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं। विधानसभा चुनाव में चंबल-ग्वालियर अंचल से कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें इसलिए मिली थीं क्योंकि लोग सिंधिया में मुख्यमंत्री का चेहरा देख रहे थे। उप चुनाव में सिंधिया मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं हैं। भाजपा शिवराज सिंह चौहान को पहले ही मुख्यमंत्री बना चुकी है। ऐसे में सिंधिया के सामने चुनौती है कि वे अपने साथ आए सभी पूर्व विधायकों को फिर विधानसभा पहुंचाएं। इससे उनकी ताकत का आकलन होगा। इस बार उन्हें भाजपा का साथ मिलेगा जबकि कांग्रेस मुकाबले में होगी। कांग्रेस ने मुकुल वासनिक को पार्टी का प्रदेश प्रभारी बनाकर सिंधिया के सामने चुनौती पेश करने की कोशिश की है।

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