SC का महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम झटका, भाजपा के 12 विधायक का निलंबन बताया गलत, जानें क्या मामला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) के मानसून सत्र के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP 12 MLA) के 12 विधायकों के निलंबन को गलत यानी असंवैधानिक बताया है। महाराष्ट्र विधानसभा में ओबीसी आरक्षण के समर्थन में स्पीकर कार्यालय में हंगामा करने पर बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित कर दिया था। जिसके बाद यह मामला कोर्ट में जा पहुंचा। वैसे विधानसभा को 60 दिनों से अधिक निलंबित करने का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि एक साल का निलंबन बेदतर है। क्योंकि इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था। एक वर्ष के लिए निलंबन निर्वाचन क्षेत्र के लिए दंड के समान होगा। जब विधायक नहीं होते हैं, तो कोई भी सदन में इन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है। निलंबन सदस्य को नहीं बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित किया जाता है।
कोर्ट ने कहा कि विधानसभा को किसी सदस्य को 60 दिनों से अधिक के लिए निलंबित करने का कोई अधिकार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 190(4) के बारे बताते हुए कहा गया कि यदि कोई सदस्य सदन की अनुमति के बिना 60 दिनों की अवधि के लिए अनुपस्थित रहता है, तो वह सीट खाली मानी जाएगी। यह फैसला न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है बल्कि तर्कहीन भी है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन को रद्द कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अब तक 12 विधायकों की सूची को दबा कर रखा है। क्या यह संविधान का उल्लंघन नहीं है। अदालत उस पर कुछ क्यों नहीं कहती। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे सरकार से बारह विधायकों से माफी मांगने को कहा है।
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