देश में महाराष्ट्र-कर्नाटक के अलावा इन राज्यों के बीच भी है सीमा विवाद, ऐसे होगा समाधान

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद थमने के बजाय बढ़ता जा रहा है। इसके निदान के लिए राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रादेशिक स्तर पर कई बैठक हो चुकी हैं। यहां तक की कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों समेत कई अन्य नेताओं के बीच दर्जनों बैठकें हुई हैं। लेकिन फिर भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की वर्तमान में कर्नाटक और महाराष्ट्र के अलावा भी कई अन्य कई राज्यों के बीच भी सीमा विवाद है।
नागालैंड-असम सीमा विवाद
देश में सीमा विवाद का सबसे पुराना मामला असम और नागालैंड का है। 1963 में जब नागालैंड राज्य बना था उसी समय से यह विवाद शुरू हो गया था। इस विवाद में नागालैंड का कहना है कि असम की बॉर्डर से लगने वाली सीमा उत्तरी कछार और नागांव जिलों में भी नागा बहुल क्षेत्र होने चाहिए। दूसरी तरफ असम का कहना है कि नागालैंड की ओर से सीमाओं पर अवैध अतिक्रमण किया हुआ है।
अरुणाचल-असम सीमा विवाद
असम और अरुणाचल प्रदेश की 804 कि.मी. सीमा एक दूसरे से लगती है। अरुणाचल प्रदेश का आरोप है कि पुनर्गठन के दौरान उसके हिस्से के वन क्षेत्रों को असम में शामिल कर दिया गया है। इसका विरोध करते हुए असम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उसके बाद से ही ये मामला फंसा हुआ है।
मेघालय-असम सीमा विवाद
असम और मेघालय के बीच भी लंबे समय से सीमा विवाद है। मेघालय ने 1971 के असम पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती देते हुए, कहा कि मिकिर हिल्स के ब्लॉक उसके राज्य के हिस्सा थे। इसी बात को लेकर विवाद अभी भी चल रहा है।
मिजोरम-असम सीमा विवाद
मिजोरम को पहले लुशाई हिल्स के तौर पर जाना जाता था, जो कि असम का ही हिस्सा था। इसके बाद 1972 में केंद्र शासित प्रदेश और 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद यहां सीमा विवाद शुरू हो गया।
हिमाचल प्रदेश-हरियाणा सीमा विवाद
हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के बीच परवाणू इलाके को लेकर सीमा विवाद छिड़ा हुआ है। बता दें कि परवाणू इलाका हरियाणा के पंचकूला जिले से लगता है। इसमें हिमाचल प्रदेश कुछ हिस्सों को अपने होने का दावा ठोक रहा है। सर्वे ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के तहत हरियाणा के कुछ हिस्सों पर हिमाचल प्रदेश ने अपना कब्जा जमा लिया है।
ऐसे होगा सीमा विवाद का समाधान
देश के कई राज्यों के बीच सीमा विवाद है। इस विवाद को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ही एकमात्र रास्ता है। इसके साथ ही इन राज्यों के सीमा विवाद का समाधान आपसी सहमति से भी हो सकता है।
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