महाराष्ट्र: जानें आखिर एनसीपी कैसे दो फाड़ में बंटी, इस वजह से अलग हुई शरद-अजीत पवार की राह

महाराषट्र में सरकार गठन को लेकर कई दिनों से लगातार कई दल गठजोड़ कर रहे थे। अतं समय पर भाजपा ने बाजी मारते हुए अजीत पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलवादी और देवेंद्र फडणवीस सीएम बन गए। लेकिन अभी फ्लोर टेस्ट बाकी है। जहां विधायकों का समर्थन सरकार के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा।
विधानसभा चुनाव में एनसीपी इस वक्त किंग मेकर की भूमिका निभा रही है। वो जहां भी जाएगी उसके साथ सरकार बनाएगी। इसी दौरान एनसीपी अब दो फाड़ में बंटती हुई नजर आ रही है। एक खेमा अजीत पवार का है तो दूसरा खेमा शरद पवार का बताया जा रहा है।
दोनों के बीच हाल ही में एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना के सरकार बनाने के लिए वो डिप्टी सीएम बनना चाहते थे लेकिन शरद पवार राजी नहीं थे। ये खट्टात आज से नहीं है बल्कि साल 2004 के विधानसभा चुनाव से शुरू और अभी तक चली आ रही है। लेकिन कभी अजीत पवार ने शरद पवार को इसकी भनक नहीं लगने दी।
साल 2004 के चुनाव में एनसीपी ने कांग्रेस को सीएम पद दे दिया था। जिसके बदले में एनसीपी को दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद मिला। वहीं 2009 के चुनाव में अजीत पवार के करीबियों को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। शरद पवार ने उनकी कोई मांग नहीं मांगी थी।
इसके बाद साल 2019 को लोकसभा चुनाव में अजीत पवार ने अपने बेटे पार्थ को टिकट दिलवाना चाहते थे। इस मांग को शरद ने नामंजूर कर दिया। लेकिन अजीत की जिद के आगे पार्टी झुक गई और पार्थ को टिकट दे दिया। लेकिन पार्टी और शरद ने उनके बेटे के समर्थन में प्रचार नहीं किया और वो चुनाव हार गए।
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