Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में MVA सरकार गिरने की कगार पर, उद्धव-राउत के कड़े हमले के बावजूद क्यों चुप है बीजेपी!

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में MVA सरकार गिरने की कगार पर, उद्धव-राउत के कड़े हमले के बावजूद क्यों चुप है बीजेपी!
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एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि शिवसेना के 40 से अधिक विधायक उनके साथ हैं। पार्टी के और भी विधायक (MLA) उनके साथ हो सकते हैं।

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की शिवसेना के खिलाफ लड़ाई अब शिवसेना (Shiv Sena) के कब्जे की लड़ाई में तब्दील होती दिख रही है। शिवसेना के 55 विधायकों (Shiv Sena MLAs) में से लगभग दो-तिहाई विधायक बगावत करके एननाथ शिंदे के खेमे में आ गए हैं! एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि शिवसेना के 40 से अधिक विधायक उनके साथ हैं। पार्टी के और भी विधायक (MLA) उनके साथ हो सकते हैं।

क्या है बीजेपी की रणनीति?

उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व छोड़ने का आरोप लगाते हुए एकनाथ शिंदे अब बालासाहेब ठाकरे की विरासत, शिवसेना और यहां तक ​​कि उनके चुनाव चिन्ह पर भी अपना दावा कर रहे हैं। इस बीच, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन जिस भाजपा पर वे आरोप लगा रहे हैं, वह अब लड़ाई के अंतिम परिणाम का इंतजार कर रही है, इसे शिवसेना का आंतरिक मामला बता रही है।

मालूम हो कि बीजेपी का अब तक का यही रुख रहा है कि सत्ता के लिए हिंदुत्व का दामन छोड़ चुकी शिवसेना को ऐसा बहुत देर से करना पड़ा है। भाजपा अभी भी महाराष्ट्र गठबंधन सरकार को अप्राकृतिक गठबंधन कहती है और कहती है कि महाराष्ट्र के लोगों ने भाजपा-शिवसेना को जनादेश दिया था लेकिन उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को धोखा दिया और कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिलाकर सरकार बना ली।

बीजेपी को कोई जल्दी नहीं है

अजित पवार के चैप्टर में जमीन खो चुकी बीजेपी को इस बार कोई जल्दी नहीं है। इसलिए की बीजेपी शिवसेना के खिलाफ शिंदे की लड़ाई के अंतिम परिणाम का इंतजार कर रही है। भाजपा को एकनाथ शिंदे की पेशकश पर उद्धव ठाकरे के अंतिम फैसले का भी इंतजार है। इसमें शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन छोड़कर बीजेपी में दोबारा शामिल होने की सलाह दी।

पार्टी के कई नेताओं का मानना ​​है कि अगर सरकार और पार्टी दोनों को कोई रास्ता नहीं दिखता है, तो उद्धव ठाकरे पुराने गठबंधन में वापस आ सकते हैं। यही वजह हो सकती है कि उद्धव ठाकरे, संजय राउत, शरद पवार और कांग्रेस नेताओं के कड़े हमलों और आरोपों के बावजूद बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व फिलहाल खामोश है।

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