Maharashtra: समझौते के मूड में नहीं उद्धव ठाकरे, कहा- तीर-धनुष कोई छीन नहीं सकता, कुछ लोगों के जाने से पार्टी खत्म नहीं होती

Maharashtra: समझौते के मूड में नहीं उद्धव ठाकरे, कहा- तीर-धनुष कोई छीन नहीं सकता, कुछ लोगों के जाने से पार्टी खत्म नहीं होती
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महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की सरकार आने के बाद पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) जनता के सामने आए। उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य में मध्यावधि चुनाव की मांग करते हुए कहा कि 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का आने वाला फैसला शिवसेना का ही नहीं, बल्कि बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भी भविष्य तय करेगा।

महाराष्ट्र (Maharashtra) में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की सरकार आने के बाद पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) जनता के सामने आए। उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य में मध्यावधि चुनाव की मांग करते हुए कहा कि 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का आने वाला फैसला शिवसेना का ही नहीं, बल्कि बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भी भविष्य तय करेगा।

इसीके साथ उन्होंने साफ किया कि 'धनुष और बाण' शिवसेना के हैं और हमेशा रहेंगे। ठाकरे ने बागी विधायकों और भाजपा को चुनौती देते हुए कहा आज राज्य में चुनाव होने दीजिए, देखते है राज्य की जनता क्या सोचती हैं कि कौन गलत है या कौन सही? पूर्व सीएम ठाकरे ने कहा, शिवसेना (Shiv Sena) के चुनाव चिन्ह के धनुष-बाण को लेकर भी विवाद है। मैं हर शिवसैनिक से कहना चाहता हूं कि इसे कोई नहीं ले सकता।

कहा जा रहा है, हमारा निशान चला गया है। ऐसा नहीं है। कोई हमसे हमारा चिन्ह नहीं छीन सकता। ठाणे और नवी मुंबई से पार्षदों का पक्ष बदलने की खबर पर उद्धव ठाकरे ने कहा, 'जो पार्षद एकनाथ शिंदे के साथ हैं, वे उनसे जुड़ रहे हैं। जो शिवसेना की मदद से बड़े बने हैं वो छोड़कर चले गए हैं, लेकिन जिन्होंने शिवसेना को बड़ा बनाया वो आज भी उनके साथ हैं।

गौरतलब है कि शिवसेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें शिंदे को सरकार (Shinde government) बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को सुनवाई होनी है। महाराष्ट्र (Maharashtra) में हाल ही में ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को वरिष्ठ नेता शिंदे के नेतृत्व में विधायकों के विद्रोह का सामना करना पड़ा था। पार्टी के अधिकांश विधायकों ने शिंदे का पक्ष लिया, जिससे महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) सरकार गिर गई। उद्धव ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और शिंदे ने एक दिन बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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