इस बार बीटिंग रिट्रीट में नहीं सुनाई देगी बापू की पसंदीदा धुन, जानें क्यों

हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
इस बार 29 जनवरी को रायसीना हिल्स और विजय चौक चौराहे पर आयोजित किए जाने वाले बीटिंग द रिट्रीट समारोह-2022 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पसंदीदा धुन 'अबाइड विद मी' सुनने को नहीं मिलेगी। क्योंकि सरकार ने इसे रिट्रीट समारोह में शामिल न करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी भारतीय सेना द्वारा शनिवार को जारी किए गए रिट्रीट समारोह के एक ब्रोशर से मिली है। गौरतलब है कि केंद्र का यह निर्णय इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में प्रज्वलित हो रही अखंड ज्योति में किए गए पूर्ण विलय करने के फैसले के तुरंत बाद सामने आया है। इससे पहले 2020 में भी राष्ट्रपिता की इस पसंदीदा धुन को केंद्र की तरफ से रिट्रीट समारोह से बाहर कर दिया गया था। लेकिन बाद में इसे लेकर काफी विवाद होने के बाद इसे फिर से बीटिंग द रिट्रीट का हिस्सा बना लिया गया था।
दो बार रद्द हुआ रिट्रीट समारोह
अबाइड विद मी धुन को स्कॉटिश कवि हेनरी फ्रांसिस ने 1847 में लिखा था और ये वर्ष 1950 से गणतंत्र दिवस से जुड़े आयोजनों का औपचारिक समापन कहे जाने वाले रिट्रीट समारोह के अंत से पहले लगातार बजाई जाती रही है। लेकिन अबकी बार इसकी जगह पर सारे जहां से अच्छा की धुन बजाई जाएगी। पूर्व में अपने आयोजन के बाद से लेकर अब तक केवल दो बार रिट्रीट समारोह को रद्द किया गया है। जिसमें एक बार 2009 में पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमण के आकस्मिक निधन की वजह से और दूसरी बार 2001 में गुजरात के भुज में आए भूकंप की वजह से रिट्रीट समारोह को रद्द कर दिया गया था।
समारोह में बजाई जाएंगी कुल 26 धुनें
सेना ने ये भी बताया कि बीटिंग द रिट्रीट समारोह में तीनों सशस्त्र सेनाओं के बैंड अपनी परफॉरमेंस देंगे। जिसमें कुल 26 धुनें बजाई जाएंगी। हे कांचा, चन्ना बिलौरी, जय जन्मभूमि, नृत्य सरिता, विजय घोष, केसरिया बन्ना, वीर सियाचिन, स्वदेशी, गोल्डन एरो, स्वर्ण जयंती इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं। इसके अलावा वीर सैनिक, आईएनएस इंडिया, हिंद की सेना, कदम-कदम बढ़ाए जाए, ए मेरे वतन के लोगों जैसे गीत भी समारोह स्थल पर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगे। साथ ही इस साल कार्यक्रम में 1 हजार ड्रोन्स का अनोखा शो भी रायसीना हिल्स के आसमान में देखने को मिलेगा।
सेना की बैरक वापसी का प्रतीक
बीटिंग द रिट्रीट समारोह एक शताब्दी पुरानी सैन्य परंपरा है। जिसमें सूर्यास्त के वक्त युद्धक्षेत्र से अपने बैरक में लौटती सेनाओं के मनोरंजन के लिए आयोजित किया जाता था। इसका आगाज बगलर्स द्वारा रिट्रीट की धुन बजाने के साथ-साथ होता है। इसे सुनकर ही सेनाएंं युद्ध रोक देती थीं, अपने हथियार डाल देती थीं और युद्धक्षेत्र से अपने अपने बैरक में वापस लौटने लगती थीं।
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