Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में खड़गे का पलड़ा भारी, पढ़िये जन्म से अब तक का सफर

Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में खड़गे का पलड़ा भारी, पढ़िये जन्म से अब तक का सफर
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कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव की दौड़ में पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का पलड़ा भारी है। वे गांधी परिवार के करीबी हैं तो वहीं पार्टी के तमाम नेता भी उनका बेहद सम्मान करते हैं। चलिए बताते हैं कि वे कब और कैसे गांधी परिवार और कांग्रेसियों की पहली पसंद बन गए। पढ़िये रिपोर्ट...

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव (Congress President Election) की दौड़ में पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) का पलड़ा भारी है। राजस्थान के सियासी संकट (Rajasthan Congress Crisis) के चलते जहां अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पहले ही इस दौड़ से बाहर निकल गए हैं, वहीं मल्लिाकार्जुन खड़गे का नाम सामने आते ही दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) भी चुनाव लड़ने से पीछे हट गए हैं। अभी सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) दौड़ में हैं, लेकिन बताय जा रहा है कि जल्द मल्लिकार्जुन और थरूर के बीच बैठक होनी है। इसके बाद स्पष्ट हो पाएगा कि वो चुनाव लड़ेंगे या वो भी अपना नाम वापस लेंगे। बहरहाल, अभी तक कि स्थिति देखें तो खड़गे की दावेदारी ही मजबूत दिखाई दे रही है।

दरअसल, खड़गे न केवल गांधी परिवार के करीबी और सबसे पसंदीदा नेता है बल्कि पार्टी के तमाम नेता भी उनका सम्मान करते हैं। मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले खड़गे ने मुश्किल समय में भी कांग्रेस का साथ दिया और पार्टी से भी मुश्किल घड़ी में भी रिटर्न गिफ्ट भी मिलता रहा। यही वजह रही कि कांग्रेस ने खड़गे को साल 2014 में लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उनपर भरोसा जताया और 2020 में राज्यसभा भेज दिया। यही नहीं पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तो कांग्रेस ने खड़गे को ही चुना और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया। कांग्रेस हाईकमान अभी भी खड़गे की पहली पसंद है। ऐसे में ताज्जुब नहीं होगा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर खड़गे ही विराजमान दिखाई दे सकते हैं।

ऐसा रहा शैक्षणिक सफर

80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। गुलबर्गा के नूतन विद्यालय में स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी की। इसके बाद वकालत करने लगे।

यहां से शुरू हुई सियासी पारी

खड़गे को संयुक्त मजदूर संघ का एक प्रभावशाली नेता के रूप में जाना गया। उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। 1969 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा और पहली बार 1972 में कर्नाटक की गुरमीतकल असेंबली सीट से विधायक बने। वे इस सीट पर नौ बार विधायक चुने जा चुके हैं। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। उन्होंने 2009 से संसदीय सफर शुरू किया और दो बार गुलबर्गा से लोकसभा सांसद रहे। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में श्रम व रोजगार मंत्री और रेल मंत्री की भूमिका निभा चुके हैं।

खड़गे का जन्म कर्नाटक में हुआ, लेकिन उनकी जड़ें मूल रूप से महाराष्ट्र की हैं और यही वजह है कि वो मराठी को बाखूबी बोल और समझ सकते हैं। कांग्रेस पार्टी का ऐसा कोई नेता नहीं, जो खड़गे को हराकर कोई चुनाव पक्के तौर पर जीतने का दावा नहीं कर सकता। यही वजह है कि खड़गे को ही कांग्रेस के आगामी राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अभी से देखा जाने लगा है।

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