पीएम मोदी ने आज बुलाई सर्वदलीय बैठक, 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर होगी चर्चा- ममता बनर्जी नहीं होंगी शामिल

पीएम मोदी ने आज बुलाई सर्वदलीय बैठक, एक राष्ट्र एक चुनाव पर होगी चर्चा- ममता बनर्जी नहीं होंगी शामिल
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजनीतिक दलों के प्रमुखों की होने वाली बैठक में भाग नहीं लेंगी। उन्होंने इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को मंगलवार को पत्र लिखकर सरकार को सलाह दी कि वह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर जल्दबाजी में फैसला करने के बजाए इस पर एक श्वेत पत्र तैयार करे।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजनीतिक दलों के प्रमुखों की होने वाली बैठक में भाग नहीं लेंगी। उन्होंने इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को मंगलवार को पत्र लिखकर सरकार को सलाह दी कि वह 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर जल्दबाजी में फैसला करने के बजाए इस पर एक श्वेत पत्र तैयार करे। मोदी ने उन सभी दलों के प्रमुखों को 19 जून को बैठक के लिए आमंत्रित किया है जिनका लोकसभा या राज्यसभा में कम से कम एक सदस्य है।

इस बैठक में 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार, 2022 में आजादी के 75वें वर्ष के जश्न, महात्मा गांधी के इस साल 150वें जयंती वर्ष को मनाने समेत कई मामलों पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद 20 जून को सभी सांसद रात्रिभोज के समय बैठक करेंगे। तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा में 22 सदस्य हैं। यह संसद के निचले सदन में वाईएसआर कांग्रेस के साथ चौथी सबसे बड़ी पार्टी है। वाईएसआर कांग्रेस के भी लोकसभा में 22 सदस्य हैं। सत्तारूढ भाजपा के लोकसभा में सर्वाधिक 303 सांसद हैं।

इसके बाद कांग्रेस (52) और द्रमुक (23) आते हैं। बनर्जी ने पत्र में लिखा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के मामले पर विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव जैसे संवेदनशील एवं गंभीर विषय पर इतने कम समय में जवाब देने से इस विषय के साथ न्याय नहीं होगा। इस विषय को संवैधानिक विशेषज्ञों, चुनावी विशेषज्ञों और पार्टी सदस्यों के साथ विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

उन्होंने लिखा कि मैं अनुरोध करूंगी कि इस मामले पर जल्दबाजी में कदम उठाने के बजाए, आप कृपया सभी राजनीतिक दलों को इस विषय पर एक श्वेत पत्र भेजें जिसमें उनसे अपने विचार व्यक्त करने को कहा जाए। इसके लिए उन्हें पर्याप्त समय दिया जाए। यदि आप ऐसा करते हैं, तभी हम इस महत्वपूर्ण विषय पर ठोस सुझाव दे पाएंगे।'' बनर्जी ने कहा कि पिछड़े जिलों के विकास के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस पहले ही अपने विचारों से उन्हें अवगत करा चुकी है कि वह कुछ जिलों के चयन के समर्थन में नहीं हैं क्योंकि इससे राज्य के सभी जिलों के संतुलित एवं समान विकास का समग्र लक्ष्य पूरा नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि हमारा राज्य सभी जिलों के समान सामाजिक एवं आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि क्षेत्रीय असंतुलन पैदा नहीं हो।'' ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि वह और उनका दल 2022 में आजादी के 75 वर्ष पूरे होने और महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष समारोहों में बढ़-चढ़ कर भाग लेंगे, लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि जहां तक संसद की उत्पादकता में सुधार के तरीकों का मामला है तो संसदीय मंत्रालय को सभी दलों के साथ इस मामले पर विचार-विमर्श करना चाहिए। उन्होंने पत्र में लिखा कि सभी दल जो निर्णय लेंगे, हम उस पर सहमत होंगे।

बनर्जी पिछले सप्ताह नीति आयोग की बैठक में भी शामिल नहीं हुई थीं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुई थीं। बैठक में शामिल नहीं होने के बनर्जी के निर्णय को राजनीतिक गलियारों में पश्चिम बंगाल में तृणमूल और भाजपा के बीच बढ़े तनाव का नतीजा समझा जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और उन पर राज्य के विकास को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया था।

पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि बनर्जी संसदीय चुनाव में मिली हार से अभी उबर नहीं पाई हैं और केंद्र या भाजपा द्वारा बुलाई गई किसी भी बैठक में शामिल नहीं होने के लिए बहाने बना रही हैं। उन्होंने कहा कि तृणमूल को छोड़कर सभी राजनीतिक दल शामिल हो रहे हैं। वे संघीय ढांचे के बारे में सबसे अधिक शोर मचाते हैं लेकिन एक स्वस्थ लोकतंत्र के हर पहलू को नष्ट करने में व्यस्त हैं।

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