Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर SC में सुनवाई, DGP हुए पेश, 3 जजों की कमेटी भी बनाई

Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर SC में सुनवाई, DGP हुए पेश, 3 जजों की कमेटी भी बनाई
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Manipur Violence: मणिपुर में 3 मई से जारी हिंसा के मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मणिपुर सरकार ने कोर्ट में कहा कि हिंसा के मामलों की जांच के लिए वह 6 एसआईटी (SIT) टीम का गठन करेगी। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के तीन जजों की एक कमेटी का गठन किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Manipur Violence: मणिपुर में दो जनजातीय समुदायों मैतई और कुकी के बीच जातीय संघर्ष तकरीबन तीन महीने से शुरू है। सुप्रीम कोर्ट ने आज से मणिपुर हिंसा मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की। मणिपुर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि वह हिंसा के मामलों की जांच के लिए 6 जिलों के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की 6 एसआईटी टीम (SIT) का गठन करेगी। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए केवल महिला पुलिस अधिकारियों की एसआईटी भी गठित की जाएगी।

जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में क्या बताया

मणिपुर और केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एसपी के नेतृत्व वाली एसआईटी जातीय हिंसा की जांच करे और इन मामलों की निगरानी राज्य के डीजीपी और डीआईजी करें। साथ ही, उन्होंने सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की भी जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी बाहरी जांच से राज्य के लोगों में विश्वास पैदा नहीं होगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह भी कहा कि मणिपुर में क्रॉस-बार्डर (Cross-Border) बहुत बड़ा मुद्दा है।

डीजीपी भी जवाब देने के लिए पेश हुए

राज्य के डीजीपी (DGP) राजीव सिंह, जिन्हें पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तलब किया था। आज जातीय हिंसा और प्रशासन द्वारा अब तक उठाए गए कदमों पर सवालों के जवाब देने के लिए कोर्ट में मौजूद थे। सीबीआई (CBI) महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों से संबंधित 12 एफआईआर की जांच करेगी। 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। एससी ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था (Law And Order) पूरी तरह से चरमरा गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारा प्रयास कानून के शासन में विश्वास की भावना बहाल करना है। उन्होंने कहा कि हम एक स्तर पर 3 पूर्व HC के जज की एक समिति का गठन करेंगे। यह समिति जांच के अलावा अन्य चीजों पर भी ध्यान देगी।

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