Maratha Reservation: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर पुणे-बेंगलुरु हाईवे जाम, शिंदे सरकार ने लिए तीन बड़े फैसले

Maratha Agitation: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन हिंसक हो गया है। यह राज्य के मराठवाड़ा इलाके के 8 जिलों में फैल गया है। इनके अलावा पुणे, अहमदनगर में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। पुणें-बेंगलुरु हाईवे पर भी काफी लंबा जाम लग गया है। साथ ही, कई आगजनी की घटनाएं भी सामने आई हैं। वहीं, सीएम शिंदे ने मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए समाधान खोजने के लिए एक तत्काल कैबिनेट बैठक की है।
सीएम शिंदे ने कैबिनेट में लिए तीन अहम फैसले
शिंदे सरकार ने कैबिनेट बैठक में तीन अहम फैसले लिए हैं, जिनमें जस्टिस संदीप शिंदे की पहली रिपोर्ट को मंजूरी दी गई है। इसमें मराठवाड़ा के निज़ाम काल के दौरान मराठा कुनबी और कुनबी मराठा के दस्तावेजों की जांच की थी। पिछड़ा वर्ग आयोग अब मराठा समुदाय के शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की जांच करेगा और नया डेटा इकट्ठा करेगा। जस्टिस दिलीप भोसले की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। यह समिति मराठा आरक्षण देने के लिए सरकार को कानूनी सलाह देगी।
हिंसक हुआ प्रदर्शन
बीड और माजलगांव के बाद आज जालना के पंचायत बॉडी ऑफिस को आगे के हवाले कर दिया गया है। इसके पहले उमरगा कस्बे के नजदीक तुरोरी गांव में भी सोमवार देर रात आगजनी हुई थी। तुरोरी में प्रदर्शनकारियों ने कर्नाटक डिपो की एक बस में आग लगा दी थी। साथ ही, इस आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित बीड शहर के बाद उस्मानाबाद में भी प्रशासन काफी अलर्ट हो गया है। उसने बीड में इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी है। वहीं, जालना शहर में भी पिछले 12 घंटों में तीन लोगों ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। यहां भी बीते 13 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी है।
अब तक 55 लोग गिरफ्तार
बीड के एसपी नंदकुमार ठाकुर ने कहा कि महाराष्ट्र के बीड जिले में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया है और हिंसा व आगजनी की हालिया घटनाओं के सिलसिले में 55 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।विरोध प्रदर्शन के हिंसा में बदलने के साथ, पुलिस ने प्रमुख राजनीतिक नेताओं के आवासीय और आधिकारिक परिसरों पर भी सुरक्षा बढ़ा दी है और गश्त बढ़ा दी है।
मनोज जारांगे ने अपना रुख कड़ा कर लिया
इन प्रदर्शन के बीच, मराठा विरोध का नेतृत्व कर रहे कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने कहा कि मराठा समुदाय अधूरा आरक्षण स्वीकार नहीं करेगा और महाराष्ट्र सरकार को इस मुद्दे पर राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बात की है। मैंने एक बार फिर अपना रुख साफ कर दिया है कि मराठों के लिए अधूरा आरक्षण स्वीकार्य नहीं है। सरकार को पूरे राज्य में मराठों के लिए आरक्षण की घोषणा करनी चाहिए। हम पूरे मराठा राज्य भाई हैं और उनका खून का रिश्ता है।
हिंसक प्रदर्शन पर क्या बोले मनोज जारांगे
राज्य के कुछ हिस्सों में आरक्षण की मांग को लेकर हिंसा की घटनाओं के बीच उन्होंने दावा किया कि मराठा कार्यकर्ता शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि मराठा समुदाय चाहता था, मैंने पानी पीना शुरू कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे दो कार्यक्रम, भूख हड़ताल और राजनीतिक नेताओं के गांवों में प्रवेश पर प्रतिबंध जारी रहना चाहिए। विधायकों और सांसदों जैसे जन प्रतिनिधियों को एक समूह बनाना चाहिए और मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुरक्षित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलनकारियों को फिलहाल बंद बुलाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए और सरकार को सार्वजनिक परिवहन सेवाएं चालू रखनी चाहिए।
आंदोलन होने के कारण
पिछले 4 दशक से महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे हैं। राज्य सरकार ने ओबीसी के तहत मराठाओं को 2018 में 16 फीसदी आरक्षण दिया था। इससे राज्य में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा को पार कर गया। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मई 2021 में मराठा आरक्षण रद्द कर दिया था। इसके बाद मराठा नेताओं ने मांग की कि उनके समुदाय को कुनबी जाति के प्रमाणपत्र दिए जाएं। मौजूदा सरकार ने मराठा समुदाय के कुछ लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र देने का फैसला कर लिया है।
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