शिवसेना का आरोप- बीजेपी ने मायावती पर दबाव बनाने के लिए किया केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल, भाजपा की जीत को लेकर जानें क्या कुछ कहा

भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए चुनावों में जीत दर्ज की है। यूपी में भारतीय जनता पार्टी की जीत को लेकर अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (Saamana) में बीजेपी के खिलाफ तीखा हमला बोला है। शिवसेना (Shiv Sena) ने बीजेपी पर बसपा प्रमुख मायावती (BSP chief Mayawati) पर दबाव बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
शिवसेना ने आरोप लगाया कि यूपी चुनावों में बसपा की उपस्थिति महज औपचारिकता थी। क्योंकि बीजेपी ने केंद्रीय एजेंसियों का डर दिखाकर बीएसपी चीफ मायावती को चुनावों से दूर रहने के लिए मजबूर किया था। यूपी चुनाव में बसपा के वोटों को भारतीय जनता पार्टी की ओर मोड़ दिया गया।
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि मायावती कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में रोड़ा बनकर घूमती थीं। लेकिन अब आय से अधिक संपत्ति के मामले में केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में मायावती को चुनाव से दूर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। जिस पार्टी ने कभी उत्तर प्रदेश में अपने दम पर सत्ता हासिल की थी। वह पार्टी उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से महज एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी। क्या कोई इसे स्वीकार कर सकता है? शिवसेना ने दावा किया कि राज्य चुनावों में भाजपा की जीत में केंद्रीय जांच एजेंसियों का दबाव एक प्रमुख कारक साबित हुआ है।
राज्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत पर दिया ये बयान
शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने हाल ही में राज्य विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है। खासकर उत्तर प्रदेश में जहां, मोदी और योगी को डबल इंजन के साथ बड़ी जीत मिली है। चार राज्यों में जीत की खुशी ने भाजपा और उसके नेताओं को बेचैन कर दिया है। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि जैसे ही बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में जीत दर्ज की, महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं ने कहना शुरू कर दिया कि 'उत्तर प्रदेश की झांकी खत्म हो गई है, महाराष्ट्र अभी बाकी है।
शिवसेना ने आगे आरोप लगाया कि चार राज्यों में जीत को देखते हुए भाजपा अब यूक्रेन युद्ध के नाम पर पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है। शिवसेना ने दावा किया कि भाजपा को बहुमत के जादुई आंकड़े (यूपी में) से 60 सीटें ज्यादा मिलीं और इसके लिए पूरी केंद्रीय सत्ता दांव पर लगी थी।
शिवसेना ने दावा किया कि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल ने दिल्ली की गुलामी को खारिज कर दिया। उन राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। महाराष्ट्र में बीजेपी नेता केंद्रीय जांच एजेंसियों के नाम पर धमकियां देते हैं और उन धमकियों के मुताबिक तत्काल कार्रवाई भी की जाती है। ये एजेंसियों के स्वतंत्र या निष्पक्ष होने के संकेत नहीं हैं।
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