चीन के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक में नहीं उठा कश्मीर का मुद्दा, यह हमारा आंतरिक मामला: MEA

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की दो दिवसीय भारत दौरा समाप्त हो गई है। अब वह नेपाल (Nepal) के लिए रवाना हो गए हैं। इन दो दिनों में उन्होंने तमिलनाडु के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन, द्विपक्षीय वार्ता और अनौपचारिक शिखर सम्मेलन सिरकत की। वहीं विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस दौरे को लेकर बताया कि दोनों नेताओं के बीच करीब 90 मिनट की वार्ता हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच तालमेल बढ़ाने पर जोर दिया गया।
दोनो नेताओं की बीच हुईं छह बैठकें
विदेश सचिव विजय गोखले ने प्रेस कान्फ्रेंस कर जानकारी दी कि दोनों नेताओं के बीच आज लगभग 90 मिनट तक बातचीत हुई, इसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई और फिर दोपहर के भोजन की मेजबानी पीएम मोदी ने की। इस शिखर बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच एक-एक घंटे में कुल 6 बैठकें हुईं।
व्यापार, निवेश और सेवाओं के लिए बनेगा नया सिस्टम
उन्होंने बताया कि जिनपिंग ने भारतीय कारोबारियों को चीन में निवेश का न्यौता दिया। साथ ही पीएम मोदी को भी चीन आने का न्यौता दिया। उन्होंने बताया कि व्यापार, निवेश और सेवाओं पर चर्चा करने के लिए एक नए तंत्र की स्थापना की जाएगी। इसमें चीन से वाइस प्रीमियर हु चुनहुआ और भारत से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण होंगी।
विदेश सचिव गोखले ने बताया कि लोगों से लोगों के संबंधों पर (People To People) ध्यान केंद्रित किया गया था। यह तय किया गया कि दोनों देशों की जनता को रिश्ते में लाना होगा।उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर मुद्दे को नहीं उठाया गया और न ही चर्चा की गई। हमारी स्थिति वैसे भी बहुत स्पष्ट है कि यह भारत का आंतरिक मामला है।
अगले शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी को किया आमंत्रित
विदेश मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अगले शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी को चीन आमंत्रित किया। पीएम मोदी ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। बाद में तारीखों पर काम किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति शी ने मानसरोवर यात्रा पर जा रहे यत्रियों के लिए अधिक सुविधा की बात की और प्रधान मंत्री ने तमिलनाडु राज्य और चीन के फुजियान प्रांत के बीच संबंध पर कई विचार सुझाए।
उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दुनिया में आतंकवाद और कट्टरता की चुनौतियों से निपटना महत्वपूर्ण है। दोनों ऐसे देशों के नेता हैं जो न केवल क्षेत्रों और जनसंख्या के लिहाज से बड़े हैं, बल्कि विविधता के मामले में भी बड़े हैं।
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