हरिभूमि एक्सक्लूसिव : चीन से आने वाली दवा और कीटनाशक भी किया जा रहा क्वारंटाइन, कोरोना वायरस फैलने का डर

कोरोना संकट ने देश और दुनिया में सबकुछ बदल कर रख दिया है। अब तक कोरोना की वजह से इंसानों को क्वारेंटाइन करने की खबरें मिली थीं, लेकिन अब चीन से जलमार्ग से आने वाले कीटनाशक दवाओं को भी क्वारेंटाइन किया जा रहा है। ऐसे में 22 दिन की जगह कीटनाशक दवाओं और फर्टीलाइजर के कच्चे माल की आपूर्ति अब 40 से 60 दिनों में हो रही है। आलम यह है, खरीफ फसल के लिए बाजार में खाद और कीटनाशक दवाओं की भारी कमी होने लगी है।
कीमत बढ़ने के बावजूद किसानों को दवाएं और कीटनाशक नहीं मिल रही है। भारत में कृषि के लिए उपयोग में लाए जाने वाले खाद और कीटनाशकों के कच्चे माल का अधिकतर चीन के विभिन्न शहरों से आता है। चीन में कोरोना इफेक्ट की वजह से भारत में कई महीनों तक आपूर्ति बाधित रही। अब वहां लॉकडाउन खुलने के बाद माल तो आने लगा है, लेकिन उसे क्वारेंटाइन करने की वजह से आपूर्ति में बहुत समय लग रहा है।
कीटनाशक और खाद का पूरे देश में 30 हजार करोड़ का कारोबार है। 3 लाख टन कच्चे माल की आपूर्ति चीन से होती है। 15 सौ करोड़ से अधिक का कीटनाशक और खाद का कच्चा माल चीन से आता है। यहां आने के बाद इनका उपयोग खाद, कीटनाशक और विभिन्न दवाओं मेें किया जाता है। कच्चा माल नहीं आने की वजह से भारत की अधिकतर कीटनाशक और दवा निर्माता कंपनियों ने उत्पादन बंद कर दिया है।
इसका असर अब बाजार में कीटनाशकों और खाद की कमी के रूप में सामने आ रहा है। बड़े किसान अधिक दरों पर दवा और कीटनाशक खरीद रहे हैं, लेकिन छोटे किसानों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन बढ़ने की स्थिति में खरीफ फसल के लिए उन्हें इन सामानों की आपूर्ति में और भी परेशानी होगी। यही वजह है, विशेषज्ञ किसानों से अपनी आवश्यकताओं के अनुरुप सामान पहले ही खरीदने की सलाह दे रहे हैं।
इन सामानों की होती है आपूर्ति
कीटनाशक व दवाओं के कारोबार में लंबे समय से जुड़े कारोबारी मंजीत चावला ने बताया कि चीन से मोनोअमोनियम फास्फेट, कैल्शियम नाइट्रेट और पोटेशियम नाइट्रेट जैसी आवश्यक दवाएं आती हैं। इन दवाओं की आपूर्ति नहीं होने से भारत में पेस्टीसाइट्स बनाने वाली कंपनियों में उत्पादन बंद हैं। इसलिए किसानों को खाद से लेकर कीटनाशकों की तंगी का सामना करना पड़ रहा है। चुंकि खरीफ फसल के लिए 15 मई से ही तैयारी प्रारंभ हो जाती है। इस बार मानसून भी पहले आने की संभावना है। ऐसे में दवाओं की कमी किसानों की मुसीबत बढ़ा सकती है।
डॉलर का भी असर
डॉलर की कीमत में लगातार उछाल का असर भी दवाओं और कीटनाशकों की आपूर्ति पर पड़ रहा है। वर्तमान में एक डॉलर की कीमत 77 रुपए तक पहुंच चुकी है। ऐसे में यहां आने के बाद कच्चे माल की खरीदी सामान्य निर्माताओं के लिए बेहद महंगी होगी। किसानों पर भी इसका असर होगा। पहले तो उन्हें देर से कीटनाशक और खाद की आपूर्ति होगी। दूसरी ओर इन सामानों के लिए पहले से अधिक कीमत भी चुकानी होगी।
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