महबूबा मुफ्ती बोलीं- मैंने 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म नहीं देखी लेकिन छत्तीसिंहपुरा और नंदी मार्ग हत्याकांड देखा है, बीजेपी पर किया कटाक्ष

महबूबा मुफ्ती बोलीं- मैंने द कश्मीर फाइल्स फिल्म नहीं देखी लेकिन छत्तीसिंहपुरा और नंदी मार्ग हत्याकांड देखा है, बीजेपी पर किया कटाक्ष
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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि मैंने 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म नहीं देखी। मैंने छत्तीसिंहपुरा हत्याकांड और नंदी मार्ग हत्याकांड देखा है।

'द कश्मीर फाइल्स' ('The Kashmir Files') फिल्म को लेकर राजनीतिक दलों के नेता बयानबाजी कर रहे हैं। अब जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (PDP President Mehbooba Mufti) ने 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म को लेकर बयान दिया है। साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) पर लोगों के बीच नफरत फैलाने का आरोप लगाया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि मैंने 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म नहीं देखी। मैंने छत्तीसिंहपुरा हत्याकांड और नंदी मार्ग हत्याकांड देखा है। तीन दिन बाद सेना ने सात मुसलमान लड़कों को उठाया और उन्हें मार दिया। हम इससे क्या यह कह सकते हैं कि पूरी सेना खराब है? पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह (भारतीय जनता पार्टीव) क्या जाने कश्मीरी पंडित क्या होता है। यह उनके (कश्मीरी पंडितों के) दुख को हथियार बनाकर इस्तेमाल करना चाहते हैं और नफ़रत फैलाना चाहते हैं।

फारूक अब्दुल्ला ने 'द कश्मीर फाइल्स' को प्रोपेगेंडा फिल्म बताया

बता दें कि महबूबा मुफ्ती से पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म की आलोचना की थी। उन्होंने इस फिल्म को प्रोपेगेंडा फिल्म बताया था। पूर्व सीएम ने कहा था कि इस फिल्म ने एक ऐसी त्रासदी को जन्म दिया है। इस फिल्म ने जम्मू कश्मीर की हर आत्मा, हिंदू और मुसलमानों को समान रूप से प्रभावित किया है।

राजनीतिक दलों का एक तत्व जातीय सफाई में रुचि रखता है। द कश्मीर फाइल्स फिल्म में 1990 में कश्मीरी पंडितों द्वारा कश्मीर विद्रोह के दौरान सहे गए क्रूर कष्टों की सच्ची कहानी बताती है। लेकिन पूर्व सीएम ने उस समय निष्क्रियता के आरोपों को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि अगर लोग सच्चाई जानना चाहते हैं, तो वे उन लोगों से बात कर सकते हैं जो उन्हें सच बता सकते हैं। जैसे मुसर रजा, जो मेरे मुख्य सचिव थे, या आरिफ मुहम्मद खान जो उस समय केंद्रीय मंत्री थे।

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